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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
देवगणाः स्वस्थानं गच्छन्तु अपराध क्षमापणं भवतु जः जः जः । नोट- बाहुबली बिम्ब प्रतिष्ठा में तीन कल्याणक की क्रियाएं करें । 130. आचार्य उपाध्याय सर्वसाधु के सूरि मंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
ॐ ह्रीं क्रौं सम्यग्दर्शन - ज्ञान - चारित्रावतर गात्राय चतुरशीति गुण गणधर चरणाय अष्ट चत्वारिंश गणधरवलयाय षट्त्रिंशत गुणसंयुक्ताय णमो आइरियाणं हें हं स्थिरं तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः चिरकालं नंदतु यंत्र गुणं तंत्र गुणं वेदयुतं अनंतकालं वर्द्धयन्तु धर्माचार्या हुं कुरु कुरु स्वाहा स्वाहा ।
नोट- जहां आइरियाणं है उस स्थान पर जिसकी प्रतिष्ठा करना हो वहां उसी आचार्यउपाध्याय - साधु का मंत्र कान में बोलें।
131. शासन देवता सूरि मंत्र
जैसे
क्षेत्रपाल सूरि मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रां वं सर्वज्ञाय प्रचण्डाय पराक्रमाय बटुक-भैरव-जय-विजयादि क्षेत्रपाला अत्र अवतर अवतर तिष्ठ तिष्ठ सर्व जीवानां रक्ष रक्ष फट् स्वाहा ।
यक्षि देवी सूरि मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं ऐं श्री पद्मावती देवी अत्र अवतर अवतर तिष्ठ तिष्ठ सर्व जीवानां रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा ।
यक्ष देव सूरि मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं ऐं श्री धरणेन्द्र देवता अत्र अवतर अवतर अत्रतिष्ठ तिष्ठ सर्व जीवानां रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा ।
नोट : पद्मावती व धरणेन्द्र के स्थान पर अन्य जिनकी स्थापना करनी हो उनका नाम लेवें।
इन शासनदेव सूरि मंत्रों को अर्धरात्रि में शासन देवों के कान में पढ़ें।
सूरिमंत्र को देकर एक आटे का बना हुआ दीपक में चार बत्ती जलाकर भगवान के सामने रखें तथा सबको यह कहे कि भगवान को केवलज्ञान प्रकट हो गया है। आचार्य चरण प्रतिष्ठा आचार्य पद प्रतिष्ठा के समान है।
132 चरण-चिह्न प्रतिष्ठा
पहले मंगलाष्टक आदि पढ़कर यागमण्डल विधान करें फिर आचार्य और चारित्र भक्ति पढ़ें। फिर आचार्य, उपाध्याय, साधु जिनके भी चरण स्थापित करना हो उनका मंत्र पढ़कर शुद्धि कर लें ।
ॐ ह्रीं चन्दनादि सुगंधित द्रव्य कलशेन आचार्य ( उपाध्याय - साधु ) चरण शुद्धि
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