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मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ अनाहतविद्यायै णमो अरहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो
उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्रेभ्यः सम्यक्तपसे नमः
स्वाहा। अथवा ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा अनाहत सिद्धचक्राधिपतये नमः (स्वाहा)। * गुणारोपण क्रिया में मंत्र पढ़कर प्रतिमाओं पर पुष्प क्षेपण करें। मंत्र- १. ॐ सिद्धाष्टगुणानि न्यसामि स्वाहा। २. ॐ ह्रीं परमावगाढ़गुण विभूषिताय नमः। ३. ॐ ह्रीं अनंतज्ञानगुण विभूषिताय नमः । ४. ॐ ह्रीं अनंतदर्शनगुण विभूषिताय नमः। ५. ॐ ह्रीं अनंतवीर्यगुण विभूषिताय नमः । ६. ॐ ह्रीं सूक्ष्मगुण विभूषिताय नमः। ७. ॐ ह्रीं अवगाहनगुण विभूषिताय नमः। ८. ॐ ह्रीं अगुरुलघुगुण विभूषिताय नमः। ९. ॐ ह्रीं अव्याबाधगुण विभूषिताय नमः। * सिद्ध पूजा करें तथा जिन-जिन तीर्थंकर-प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की है उन सभी
के निर्वाण कल्याणक के अर्घ चढ़ाएं। जैसे- अर्घ- ॐ ह्रीं माघकृष्ण चतुर्दश्यां निर्वाणकल्याणक प्राप्ताय वृषभदेवाय अर्घ
निर्वपामीति स्वाहा। * अर्हन्त प्रभु के सामने पुष्प क्षेपण कर पंचकल्याणक की स्थापना करें।
ॐ गर्भकल्याण स्थापनं करोमि। ॐ जन्मकल्याण स्थापनं करोमि। ॐ तपकल्याण स्थापनं करोमि। ॐ ज्ञानकल्याण स्थापनं करोमि। ॐ मोक्षकल्याण स्थापनं करोमि। प्रतिष्ठाचार्य सिद्ध-श्रुत-चारित्र-योग-शान्तिभक्ति पढ़कर केवलज्ञानकल्याण क्रिया पूर्ण करें। पश्चात् निर्वाण क्षेत्र एवं महार्घ चढ़ाकर शान्तिपाठ पढ़ें व विसर्जन करके, शांति हवन, शांति भक्ति पढ़कर कार्य पूर्ण करें। मण्डल विसर्जन- मंत्र- ॐ ह्रीं अस्मिन् बिम्बप्रतिष्ठा महोत्सवे (कर्माणि) आहूयमान
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