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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
पद्मावती श्वेतात पत्रधराय सर्वगृह मातृका दोषं हन हन अपहर अपहर पुत्रमे जनय
जनय शीघ्रं-शीघ्रं ऋतु मृत्यै नमः स्वाहा। विधि- असगंध उशीर (खस ) से सारे शरीर में उबटन (लेप) कराके इस मंत्र से स्नान करावें। अर्थात् मंत्रित जल से स्नान करावें।
(11) सुख से प्रसव होय मंत्र (1) प्रसूति संकट निवारण मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कलिकुंड स्वामिन् ...... अमुकस्य
गर्भं मुंच-मुंच स्वाहा। विधि- इस मंत्र से तेल मन्त्रित कर पेट पर लगाने से सुख पूर्वक प्रसूति होती है। (2) सुख से प्रसव होय मंत्र- ॐ मुक्ताः पाशा विमुक्ताशा मुक्ताः सूर्येण रश्मयः, मुक्ताः
सर्व भयाद् गर्भं एहि माचिर-माचिर स्वाहा। विधि- इस मंत्र को १०८ बार पढ़कर जल अभिमंत्रित कर जल गर्भिणी स्त्री को पिलाने से तुरन्त सुख पूर्वक प्रसव होगा।
(12) ब्रह्मचर्य रक्षक मंत्र (1) स्वप्न दोष निवारण मंत्र – ॐ चले चले चित्तं वीय स्तंभन कुरू कुरू स्वाहा। विधि - प्रतिदिन सोने से पहले 21 बार मंत्र का उच्चारण करके सोने से निन्द्रा में
वीर्यपात नहीं होता है। (2) कामवृत्ति पर नियन्त्रण मंत्र - असासया भोगपिवास जंतुणो। विधि –नीले रंग की माला से प्रतिदिन 108 बार जाप करने से इन्द्रिय विजय
प्राप्त होती है। (3) ब्रह्मचर्य रक्षक मंत्र - ॐ मन दृढ़ वच दृढ़ महामुनि शील दृढ़ सुविचारी हो। विधि - इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला जपने से इन्द्रियों पर विजय प्राप्त होती है,
ब्रह्मचर्य की रक्षा होती है। (4) ब्रह्मचर्य रक्षक मंत्र - ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितं मनः
स्तंभन कुरू कुरू स्वाहा विधि - प्रतिदिन निराहार दूध को 21 बार मंत्रित कर पीने से ब्रह्मचर्य व्रत की रक्षा
होती है। (5) स्वप्न दोष नहीं हो मंत्र - “ॐ आर्यमायै नमः"। विधि-इस प्रयोग के अन्तर्गत सम्बन्धित व्यक्ति शयन करते समय निम्न मंत्र का २१ बार जाप अपने बिस्तर पर ही बैठकर करे तथा फिर सोये तो उसे स्वप्नदोष नहीं होता है।
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