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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
* निम्न मंत्र को १०८ बार पढ़कर प्रतिमा की नाभि में केशर से 'अर्ह' लिखें मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं अहँ अ सि आ उ सा अप्रतिहतशक्तिर्भवतु ह्रीं स्वाहा। मंत्रन्यास विधि/मंत्र * प्रतिमाजी के अष्ट प्रदेशों में श्रीखण्ड और कपूर से बीजाक्षरों का न्यास करें। मंत्र- ॐ ह्रां ललाटे, ॐ ह्रीं वामकर्णे, ॐ हूं दक्षिणकर्णे,
ॐ ह्रौं शिरः पश्चिमे, ॐ ह्र: मस्तकोपरि, ॐ मां नेत्रयोः, ॐ क्ष्मीं मुखे, ॐ मूं कण्ठे, ॐ क्ष्मौं हृदये, ॐ क्ष्मः वाह्वोः, ॐ क्रौं उदरे, ॐ ह्रीं कट्यां,
ॐ ब्लूं जंघयोः, ॐ झू पादयोः, ॐ क्ष: हस्तयोः अधिवासना विधि/मंत्र * अधिवासना मंत्र पढ़कर प्रतिमाओं पर पुष्प क्षेपण करें१. ॐ सत्यजाताय नमः २. ॐ अर्हज्जाताय नमः ३. ॐ परमजाताय नमः ४. ॐ परमार्हताय नमः ५. ॐ परमरूपाय नमः ६. ॐ परमतेजसे नमः ७. ॐ परमगुणाय नमः ८. ॐ परमनाथाय नमः ९. ॐ परमयोगिने नमः १०.ॐ परमभाग्याय नमः ११. ॐ परमर्द्धये नमः १२. ॐ परमप्रसादाय नमः १३.ॐ परमकांक्षिताय नमः १४.ॐ परमविजयाय नमः १५. ॐ परमविज्ञानाय नमः १६.ॐ परमदर्शनाय नमः १७. ॐ परमवीर्याय नमः १८. ॐ परमसुखाय नमः १९. ॐ परमसर्वज्ञाय नमः २०. ॐ परमार्हते नमः २१. ॐ परमसर्वज्ञाय नमः २२. ॐ सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे त्रिलोकविजय त्रिलोकविजय धर्ममूर्ते धर्ममूर्ते स्वाहा। सेवाफलं
षट् परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु समाधिमरणं च भवतु। * अर्घ चढ़ाएं- अर्घ- ॐ ह्रीं यथाख्यात चारित्रधारकाय जिनाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। * निम्न मंत्र की १०८ बार जपेंमंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: श्री सिद्धचक्राधिपतये अष्टगुण समृद्धाय फट् स्वाहा। * निम्न मंत्र की १०८ बार जाप करें- मंत्र- “ॐ नमः सिद्धेभ्यः।" नेत्रोन्मीलन क्रिया/मंत्र * नेत्रोन्मीलन मंत्रपूर्वक सोने की सलाई से करें, अर्थात् प्रतिमा के नेत्रों में कर्णिका
(पुतली) आकार निकालें। (दीपक की लौ से अंजन बनाएं)
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