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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मनि प्रार्थना सागर
(२. जन्मकल्याणक मंत्र/विधि ऊपर लिखे मातृका मंत्र, सुरेन्द्र मंत्र व वर्धमान मंत्र का १०८-१०८ बार जाप करना। (१) देवियों द्वारा परिचर्या का मंत्र
नीचे लिखा मंत्र पढ़कर मंजूषा और देवियों पर पुष्प क्षेपण करें। मंत्र- ॐ रुचिकवर गिरीन्द्र शिखर निवासिन्यो विजयादिदेव्यो यथास्वमर्हत्प्रभुमिहेदानीं
परिचरंत्विति स्वाहा। (२) मंजूषा के ऊपर का वस्त्र अलग करने का मंत्र मंत्र- ॐ नमो अर्हते भगवते श्रीमते त्रिभुवनतिलकोत्तमांगाय दिगंतराय ज्यातिर्मण्डलाय
देवेन्द्रवर-मुकुटमणिगण-किरण सलिलधाराकृत पदाभिषेकाय द्वादशगण समन्विताय समग्र समवसरण संपत्सहिताय वृषभादि वर्द्ध मान पर्यंत तीर्थंक राय,
ऊर्ध्वमुखमोक्षनायकाय नमः। (३) मंत्र पढ़कर सब प्रतिमाओं पर पुष्पक्षेपण करें। मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूं हैं ह्रौं ह्र: श्री सिद्धचक्राधिपतयेऽष्टगुणसमृद्धाय फट् स्वाहा।
जिन जन्म स्थापनाय तस्या अन्यासां च प्रतिष्ठेय प्रतिमानामुपरि पुष्पाक्षतं क्षिपेत् । तीन दीपक जलाकर जन्म से तीन ज्ञान की कल्पना करें। जयकारा लगाकर, हर्षित होकर वाद्ययंत्र बजवायें। कल्पवासी घंटा, भवनवासी शंख, ज्योतिषीदेव सिंहनाद
और व्यंतरवासी देव भेरी बजायें। * विधिपूर्वक जन्माभिषेक करें। * मंत्रपूर्वक प्रत्येक तीर्थंकर के कुल, माता-पिता का नामोचारण करें। मंत्र- ॐ ह्रीं इक्ष्वाकुकुले नाभिभूपतेर्मरुदेव्यामुत्पन्नस्यादिदे पुरुषस्य ऋषभदेवस्वामिनो अत्र
बिम्बे वृषभांकितत्वात्तद् गुणस्थापनं तेजोमयं करोमि। * मंत्र पढ़कर प्रतिमा का स्पर्श करें। मंत्र- ॐ ऋषभादि दिव्यदेहाय सद्योजाताय महाप्रज्ञाय अनंतचतुष्टयाय परमसुखप्रतिष्ठिताय
निर्मलाय स्वयंभुवे अजरामर पदप्राप्ताय चतुर्मुख परमेष्ठिनेऽर्हते त्रैलोक्यनाथाय
त्रैलोक्यपूज्याय अष्टदिव्यनागपूजिताय देवाधिदेवाय परमार्थ सन्निहितोस्मि स्वाहा। (४) जन्मातिशय संस्कारारोपण
नीचे लिखे मंत्रो को पढ़कर प्रतिमा के ऊपर पुष्प क्षेपण करें व एक-एक दीपक
स्थापित करें। मंत्र- १. ॐ अस्मिन् बिम्बे नि:स्वेदत्व गुणो विलसतु स्वाहा।
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