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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर कुरु २ ह्रीं स्वाहा। विधि- २१दिन तक लगातार प्रतिदिन १०८ जप करने से भूत-पिशाचादि व्यन्तरों से छुटकारा मिल जाता है। ३३.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो जल्लोसहिपत्ताणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं इयं वृश्चिकविषापहारिणी विद्या ९ नमः स्वाहा। विधि- वायव्यकोण की ओर मुख करके १ वर्ष तक प्रति शनिवार को लगातार १००० जप कर सिद्ध करें। फिर बिच्छू काटे आदमी पर इस मंत्र से मंत्रित राख से झाड़ा देने से जहर नष्ट होता है। ३४.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो विप्पोसहिपत्ताणं । मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं बाहुबलि प्रचण्ड बाहुबलि पराक्रमी बाहुबलि ऊर्ध्वं बाहुबलि शुभाशुभं कथयते कथयते स्वाहा। विधि- प्रातः स्नान करके १०८ बार सुबह शाम इस मंत्र को जपकर सिद्ध करें। फिर १०८बार रात को सोने से पहले जपकर भूमि पर सोयें तो जो बात पूछोगे उसका उत्तर मिलेगा। ३५.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वोसहिपत्ताणं। मंत्र- ॐ वृषभ यक्ष दिव्यरूपाय मेघवर्ण एहि एहि श्रीं औं क्रौं ह्रीं नमः स्वाहा। विधि- ४२ दिन तक प्रतिदिन १०८ जप से शुभाशुभ प्रश्नों का उत्तर मिलता है। ३६.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो वचिबलीणं कायबलीणं खीरसवीणं सप्पिसवीणं । मंत्र- ॐ ह्रीं क्षीं क्षीं ऐं श्रीं चामुण्डे स्वाहा। विधि- सात दिन तक प्रतिदिन आराधन से विविध उपसर्गों का शमन होता है तथा उपद्रव __ शान्त होते हैं। ३७.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो महुरसवाणं। मंत्र- ॐ नमो ज्वालामालिनी जिनशासनसेवाकारिणी क्षुद्रोपद्रव विनाशिनी शान्तिकारिणी ___ धर्मप्रकाशिनी नमः कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ४१दिन तक प्रतिदिन १०८ जप से सर्व प्रकार की शान्ति होती है, भय मिटता है। ३८.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अमीयसवीणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्ष्वी धीं धीं हंसः ह्रौं ह्रः ह्रां द्राँ द्रीं द्रौं द्रः सर्व जनवश्यं महामोहनी कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ११दिन तक लगातार ११०० जप करने से तथा ७ उड़द इस मंत्र से मंत्रित कर चारों दिशाओं में फेंकने से साधक के शरीर की रक्षा होती है। ३९.ऋद्धि- ॐ ह्रीं अ6 णमो अक्खीणमहासाणं बड्ढमाणाणं । 214
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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