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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर मंत्र-ॐ नमो भगवति ! अम्बिके अम्बालिके यक्षीदेवि यूँ यौं ब्लैं हस्ल्की ब्लं हसौं र: र: र: रां रां दृष्टि प्रत्यक्षं मम देवदत्तस्य वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- २१ बार मन्त्रित दांतुन से दांत साफ करें । फिर पुन: २१ बार जप करें तो इच्छित पुरुष वश में होता है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अभिट्ठसाधयाणं बीजबुद्धीणं। मंत्र-ॐ नमो भगवति अरिट्ठणेमिस्स बंधेण बंधामि रक्खसाणं भयाणं खेयरणं चोराणं दाढाणं साईणीणं महोर गाणं अण्णे जेवि दुट्ठा संभवन्ति तेसिं सव्वेसिं मणं मुहं गहं दिट्ठी बंधामि धणु धणु महाधणु जः जः (जः?) ठः ठः ठः हुँ फट् (स्वाहा?) विधि- गहन वन के कठिन मार्ग में भय होने पर कुछ कंकरों को मन्त्रित कर चारों दिशाओं में फेंकने से चोर-सिंहादि क्रूर जन्तुओं का भय नहीं रहता। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो उण्हगदहारीणं पादाणुसारीणं। मंत्र-ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथ तीर्थकराय हंसः महाहंसः पद्महंसः शिवहंसः कोपहंस: उरगेशहंसः पक्षि महाविषभक्षि हुं फट् (स्वाहा।) विधि- प्रतिदिन १०८ जपकर सिद्ध करें। फिर मन्त्र पढ़कर सर्प डसे व्यक्ति को झाड़ने से विष दूर होता है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो विसहर विसविणासयाणं संभिण्ण सोदारणं। मंत्र-ॐ इंदसेणा महाविज्जा देव लोगाओ आगया दिट्ठिबंधाणं करिस्सामि भडाणं भूआणं अहिणं दाढीणं सिंगीणं चोराणं चारियाणं जोहाणं बग्घाणं सिंहाणं भूयाणं गंधव्वाणं महोरगाणं अन्नेसिं (अण्णेवि?) दुट्ठसत्ताणं दिट्ठि बंघणं मुहबंधणं करोमि ओं इंदनरिंदे स्वाहा। विधि- दीवाली के दिन निराहार रहकर १०८ बार जपें। पश्चात मार्ग में २१ बार जप से किसी प्रकार का भय नहीं रहता। उपद्रव शान्त होता है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो लक्खर भय पणासयाणं उजुमदीणं। मंत्र-ॐ ह्रीं चक्रेश्वरी चक्रधारिणी जल जलनिहि पारउतारणि जलं थंभय दुष्टान् दैत्यान् दारय दारय असिवोपसमं कुरु २ ओं ठः ठः (ठः?) स्वाहा। विधि- गुरुवार को पुष्य नक्षत्र के योग में १०८ बार जप कर सिद्ध करें। पश्चात् २१ बार जप से सर्व प्रकार के पानी का भय नष्ट होता है। ११. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो वारियालणबुद्धीणं विउलमदीणं। मंत्र-ॐ नमो भगवति अग्निस्तम्भिनि! ञ्चदिव्यो त्तरणि श्रेयस्करि प्रज्वल प्रज्वल १०. - 198
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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