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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (4) अत्यंत चमत्कारी मंत्र (1) अत्यंत चमत्कारी मंत्र- ॐ ह्रीं ऐं आं जां जी चन्दे सुनिम्मल यरा आइच्चे सु अहियं पयासयरा सागर वरगंभीरा सिद्धा सिद्धिं ममद्धि सन्तु मम मनोवांछिद पूरय पूरय स्वाहा। विधि-इस मंत्र का साढ़े बारह हजार बार जाप करें तो सर्वकार्य की सिद्धि होती है। यह अत्यंत चमत्कारी मंत्र है। यश प्रतिष्ठा के इच्छुक व्यक्ति को इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे यशप्रतिष्ठा बढ़ेगी, उपद्रव शांत होंगे। (2) प्रत्यक्ष फल पठित सिद्ध मंत्र- इति पिसो भगवान भगवान अरिष्ट सेम्म संबुद्धो विज्जावरण संपन्नो सुगतो लोक विद्व अनुत्तरो पुरुष दम सारथी शास्ता देवानां च मनुषाणं च बुद्धों भगवाजय धम्मा हेतु प्रभाव तेषां तथागतो अवचेत सांयोनिरोधो एव वादी मह समणो। विधि-इस मंत्र को २१ बार जप कर दुपट्टे में गांठ लगाकर ओढ़ लेने पर किसी भी प्रकार के शस्त्रों का घाव नहीं लग सकता, रण में सर्वशस्त्रों का निवारण होता है। इस मंत्र के स्मरण मात्र से जीव बन्धन मुक्त हो जाता है। चोर भय, नदी में डूबने का भय, राज भय, सिंह व्याघ्र सर्पादि सर्व उपद्रव का निवारण होता है। यह मंत्र पठित सिद्ध होता है। इसका फल प्रत्यक्ष होता है। (5) चिन्ता हरण मंत्र (1) चिन्ता हरण (निवारण) मंत्र- ॐ णमो अरहताणं बुद्धाणं बोहयाणं स्वाहा। विधि- लगातार छह माह तक एक माला का एकाग्रमन से काकेष्ठाधान पास में रखकर जाप करें तो हर चिन्ता से मुक्त हो, जिस कार्य का चिन्तन करें वही कार्य सफल हो। (2) चिन्ता हरण मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह अरिष्ट नेमिनाथाय नमः । विधि - इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला करें तो हर चिन्ता से मुक्ति मिले। (3) चिन्ता निवारण लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमल वालेय प्रसीद श्रीं ह्रीं ध्रीं महालक्ष्म्यै नमः। विधि : मन में किसी भी प्रकार का कार्य सोचकर सवा लाख जाप करें तो मन चिन्तित सब कार्य सिद्ध होगा। (6) महामंत्रों का महामंत्र" सर्वकार्य सिद्धिदायक सर्व श्रेष्ठ महामंत्र। (1) मंत्र-ॐ ह्रीं श्री त्रिकाल संबंधी पंच परमेष्ठीभ्यो नमः - 102
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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