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को देखकर किसान की समृद्धि आंकी जाती थी। अब समय आ रहा है कि खेत में उपलब्ध (प्राप्त) केंचुओं की संख्या किसान की समृद्धि का मापदंड बनेंगे और गायों को खिलाने की जैसी चिंता करनी होती है वैसे ही इन केंचुओं को उचित खाद्य मिल रहा है, यह देखना होगा।
केंचुआ पालन-रखरखाव-- देशी-विदेशी प्रकार के केंचुओं का भारत में उपयोग किया जा रहा है। देशी केंचुए जमीन के अंदर सात-आठ फीट गहरा बिल बनाते हैं। मिट्टी-मुरूम खाकर भी गुजारा कर सकते हैं-विदेशी केंचुए जमीन के अंदर आधा फीट तक काम करते हैं गोबर-मुलायम कचरे पर पलते हैं। गोशाला में गायों को जैसे रखा जाता है वैसे केंचुओं का भी पालन करते है। क्योंकि रासायनिक खादों के इस्तेमाल से भूमि के अंदर उनकी तादाद नहीं के बराबर है।
प्रथम जमीन के अंदर एक फीट गहरी-दस फीट लंबी ढाई फिट चौड़ी खाई बनाते हैं। उसमें पत्थर-ईंट के छोटे टुकड़े डालकर खाई की गहराई को आध भरा जाता है। बचे छह इंचों में मुलायम खाद, कुछ अधपका खाद डालते है। उसमें 250 ग्राम केंचुए बिखेर देते हैं। बाद में उसके ऊपर मुलायम कचरा,जिसे पंद्रह दिन पहले ही थोड़ा गीला करके रखा जाता है। इसकी एक फीट परत गोबर में मिलाकर डालते हैं। इस बेड को गीले बोरे से ढंक कर रखा जाता है। इस बेड में सदा नमी बनी रखने के लिये पानी का छिड़काव, कीचड़ न हो, इतना करना अत्यावश्यक
डाला हुआ सारा कचरा खाकर केंचुए गीले बोरों को चिपकने लगते हैं और नीचे सारे कचरे की जगह काली गोली जो केंचुओं की विष्ठा होती है, दिखाई दे तब खाद बन चुकी ऐसा समझकर पानी छिड़कना बंद करें। और अब उस बेड पर उन गोलियों के तीन ढेर बनायें। जब ढेर पूरा सूख जायेगा तो केंचुए नीचे जमीन में ईट-पत्थर में छिप जायेंगे। इस सूखे ढेर को (खाद) इकट्ठा करें और छांव में रखें।
लगातार केंचुआ खाद कैसे बनायेंगे
प्रथम खाद निकालने पर उसी बेड पर फिर से अधपका कचरा-गोबर एक फीट ऊंचाई तक बिखेर दें। पानी छिड़कने पर नीचे गये केंचुए फिर ऊपर आकर अपना काम शुरू करेंगे। दस-बारह दिन में यह डाला हुआ गोबरयुक्त कचरा केंचुए खा जायेंगे। तब फिर इसी तरह आधा पका कचरा-गोबर या हरी घास की आधा फीट परत उस पर डालें। जब केंचुए इसको पूरा हजम करेंगे तब वे ऊपर डाले बोरे से चिपक जायेंगे। तब फिर पानी छिड़कना बंद करें। खाद को इसके
स्वदेशी कृषि
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