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9. कंपोस्ट की क्रिया जल्द शुरू होने के लिये पुरानी अधपकी खाद भी मदद करेगी। जैसे दूध का दही जमाने में दही जामन काम करता है।
10. कंपोस्ट के हौदे के सिर को गोबर - मिट्टी से सील करें । आठ दिन के बाद इसकी जांच करें कि उसका तापमान बढ़ा है या नहीं। इसके लिए एक नुकीली लोहे की सलाख उसमें पांच मिनट गड़ा कर रखें और बाहर निकालकर देखें कि वह गरम हुई या नहीं। वह ठंडी रही तो समझना चाहिए कि कहीं गलती हुई है। फिर से उसे खोलकर नये सिरे से वैज्ञानिक ढंग से उसकी भराई करें ।
11. कंपोस्ट की जमीन के ऊपर बनायी हौदी या टंकी या कटघरा बनाते समय उसकी चौड़ाई की बाजू हवा की दिशा में रखें। लंबाई बहने वाली हवा की दिशा में रखेंगे तो गरम हवा की मार से नमी जल्दी सूख जायेगी और बीच-बीच में पानी डालने का काम बढ़ेगा। गरमी के दिनों में दो माह बाद दुबारा पानी का छिड़काव करें।
12. खाद बनने में 105 से 120 दिन लगते हैं। खरीफ की बुवाई के समय और रबी की बुवाई के समय ताजी खाद मिले, ऐसा सालभर में दो बार खाद बनाने की समय सारिणी (टाइम टेबल) बनायें ।
13. रवानुमा दाना, सुगंध और सुनहरा रंग या चाय पाउडर जैसा खाद- उत्तम पकने के ये तीन लक्षण हैं।
14. बीस-पचीस फीसदी खाद अधपकी रहती है उसे चलनी से छान लें। अधपकी खाद का अगले समय के लिए खाद बनाने में इस्तेमाल करें। 15. छानकर निकली खाद छांव में रखें। अधिक दिन रखना हो तो नमी बनी रहने के लिए ऊपर थोड़ा पानी छिड़कते जायें।
16. खाद बनाते समय उसमें राख फॉस्पफेट, निंबोली आदि डालें तो गुणवत्ता बढ़ेगी।
17. खाद बनते समय जीवाणु उसमें डालने से खाद कम समय में बनेगी । सेंद्रिय खाद-पद्धतियां
1. नॉडेय
इस पद्धति में जमीन के ऊपर आयताकार 12 फीट लंबी - पाँच फीट चौड़ी और तीन फीट ऊंची नव इंच चौड़ी जुड़ाई से हौदी बनाई जाती है। कचरा अधिक मात्रा में उपलब्ध हो तो हौदी की लंबाई आवश्यकतानुसार बढ़ायें । ईंटों की जुड़ाई
स्वदेशी कृषि
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