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फैल जाता है पूरे इलाके में। तो यह फिर नहीं होगा मिट्टी का कटाव रुकेगा; और मिट्टी का कटाव रुकेगा तो नदियों में मिट्टी आना कम हो जायेगी। सिलटेशन की प्रॉब्लम सॉल्व हो जायेगी। तो बाढ़ की समस्या पर भी काबू पाया जा सकता है। __एक अभियान मुझे और लगता है चलाना पड़ेगा इस पूरे देश में, और वो अभियान क्या होगा? वो अभियान ऐसा होगा कि हमारे देश में पिछले कई सैकड़ों वर्षों से नदियाँ ऐसे ही बहती चली जा रही है। जैसे पहले बहती थी और मैंने बताया की कटाव होने के कारण मिट्टी बहुत जमा हो गई है। मुझे ऐसा लगता है कि पूरे देश के विद्यार्थियों को और देश के किसानों को कमर कस के एक अभियान पूरे देश में चलाना चाहिए कि नदियों की गहराई बढ़ाई जाए। नदियों में जो मिट्टी आकर जमा हो गई है। उस मिट्टी को खींचकर नदियों में से निकाला जाए। और हर नदियों में से करोड़ों-करोड़ों टन मिट्टी निकल आती है। देश में 10 करोड़ नौजवान है। भारत सरकार के आँकड़ो के अनुसार 10 करोड़ विद्यार्थी हैं। और भारत सरकार के आँकड़ो के अनुसार 20 करोड़ बेरोजगार है। तो 20 करोड़ बेरोजगार को अगर इस देश में काम पर लगा दिया जाये कि वो कुछ नहीं दिन भर दो घण्टे, पाँच घण्टे, दस घण्टे मिट्टी निकाले नदियों में से, और मिट्टी निकालकर फिर जमा करें और वो ढेर कहाँ ले जाए? किसानों के खेत में डाल दिया जाए। किसानों के खेत की उपर की जो लेयर है मिट्टी की; वो बहुत उपजाऊ हो जायेगी। दो काम एक साथ हो जायेगें, नदियों की गहराई बढ़जायेगी। वो मिट्टी जो निकलेगी वो गाँव के किसानों के काम आयेगी। और गाँव के खेत पर अगर छः इंच ऊँची एक नई लेयर बिछा दी जाए, जो नदियों की मिट्टी है उसकी लेयर बिछा दी जाए तो बहुत बड़े पैमाने पर
खेती की उत्पादकता अपने आप बढ़ जायेगी। क्योंकि अभी जो मिट्टी बेकस हो गई हैआपकी लगातार कैमिकल्स फर्टीलाइजर डालते-डालते, कैमिकल्स पेस्टीसाईड डालते-डालते, उस मिट्टी को लगातार फिर से पूर्ववत् बनाने के लिए यह अभियान बहुत जरुरी होगा। ___ एक तरफ से हमारी नदियों की मिट्टी निकाल दी जाए उनकी गहराई बढ़ा दी जाए, ताकि नदियों में पानी ज्यादा आ जाए और दूसरी तरफ उस मिट्टी को गाँव के खेतों में बिछा दिया जाए। 6 इंच लेयर भी अगर बिछ गई तो उस मिट्टी से जो करोड़ोंटन मिट्टी नदियों में से निकलेगी, तो इस देश की खेती को फिर से हम जिन्दा कर देगें। और यह अभियान बहुत बड़े पैमाने पर चलाना पड़ेगा और यहसामाजिक अभियान होगा। नदियों की गहराई बढ़ेगी, बाढ़ की समस्या हल हो जायेगी और इस देश के किसानों की भूमि की उत्पादकता वापस लौट आयेगी। और किसानों को उसमें पूरे बड़े पैमाने पर मदद करनी पड़ेगी। स्वदेशी कृषि