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दवाओं का शरीर पर कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है? हम जो भोजन करते हैं। हम जो सब्जियां खाते हैं, दालें खाते हैं, अनाज खाते हैं, उसमें रासायनिक पदार्थों की मात्रा इतनी ज्यादा हो गई है कि माताओं के दूध में भी अभी जहर आ गया। बच्चे बचपन से ही जहर (विष) पी रहे हैं माताओं के दूध के साथ, इतना भयंकर दुष्परिणाम निकला है। और इस रासायनिक खाद व रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से तमाम तरह की बीमारियांबढ़ती चली जाती हैं। एक-एकसे नई-नई बीमारियां इस देश में आती चली जा रही हैं। कैन्सर जैसी बीमारी आज इतने बड़े पैमाने पर फैल गई है।
आज से 20-25 साल पहले कोई जानता नहीं था कि कैन्सर की कोई बीमारी होती है। इतने बड़े पैमाने पर नये-नये किस्म की जटिल से जटिल बीमारियां पैदा होती चली जा रही हैं, क्योंकि आदमी के खाने-पीने में जो वो इस्तेमाल कर रहा है-जहर (विष) की मात्रा बढ़ती चली जा रही है। तो इसलिए रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम करना पड़ेगा। और रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल भी आपको कम करना पड़ेगा। ताकि आपकी जमीन बच सके और आपके जमीन के अन्दर जो जीव-जंतु हैं, जो कीटाणू हैं, वो बच सकें। ___ आप जानते हैं कि जब आप रासायनिक कीटनाशक डालते हैं अपने खेत में,
और रासायनिक खाद डालते हैं आप अपने खेत में तो आप के खेत के अन्दर जो करोड़ों-करोड़ों जीव-जंतु होते हैं छोटे-छोटे जो मायक्रो ऑरगेनीजम कहलाते हैं। जो छोटे-छोटे मायक्रोलेवल के माने जो आँख से नहीं दिखाई देते। मुश्किल से लेन्स लगाकर हम उनको देख पाते हैं, ऐसे छोटे-छोटे जीवाणु खत्म हो गये। मिट्टी के अन्दर के जीवाणु अगर खत्म हो गए, तो खेती की मिट्टी में और कुछ नहीं होता। यह जीवाणु ही हैं जो आपके खेत में उत्यादन करवाते हैं, मिट्टी में अपने में कोई दम नहीं। मिट्टी के अन्दर जो जीवाणु पनपते हैं करोड़ों-करोड़ों की संख्या में उनकी ताकत है कि उस मिट्टी में से कुछ पैदा होता है। और जो जीवाणु लगातार खत्म होते जा रहे हैं उनके लगातार खत्म हो जाने से तो मिट्टी बेकार हो रही है। ___ तो अब सरकारें भी एक नये अभियान को चलाने में लग गई हैं, अब सरकारों को भी समझ में आ रहा है कि बहुत बड़ी गलती हुई है। बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को भी समझ में आ रहा है कि रासायनिक खाद का प्रचार कर-कर के रासायनिक कीटनाशक का प्रचार कर-कर के इस देश की खेती का बड़ा नुकसान हुआ है। और अब वहीं वैज्ञानिक क्या कहते हैं- केंचुआ पालो और अपनी खेती में केंचुआ डालो। भारत सरकार प्रोजेक्ट चला रही है कि आप उनसे केंचुआ ले आओ खरीदकर, आप अपने खेत में डालो, तो तुम ने नीतियाँ ऐसी क्यूँ चलाई जिससे स्वदेशी कृषि