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Any Member may with draw from this agreement. onts it agt इसमें से बाहर निकल सकता है। माने कोई भी देश इसको रद्द करवा सकता है अपने लिएकमसेकम। कैसे? उसमें आगेकीलाईन लिखी गईहै। Suchwithdrawal shall apply both to this agreement and the multi laterally period agreement and shall take effect upon the expiration of six month from the day on which written notice of the withdrawal is received by the Director Journal of W.T.O.
इसका माने क्या है? कोई भी देश गैट करार में से बाहर आ सकता है कैसे? एक ऍप्लीकेशन देगा गैट का जहाँ हेड ऑफिस है। वो जगह है जेनेवा। तो गैट के हेड ऑफिस में जो इनका सबसे बड़ा अधिकारी बैठता है उसका नाम है डायरेक्टर जनरल ऑफ W.T.O. । उसको यहऍप्लीकेशन दिया जायेगा कि हम इसमें से बाहर निकलना चाहते हैतो जिस डेट को हमाराअप्लीकेशन वहाँ पर रिसीव किया जायेगा - लिया जायेगा। उसी डेट से लेकर अगले 6 महीने के बाद हम अपने आप इसमें से बाहर निकल आयेगें। माने कुछ भी मुश्किल नहीं है इसमें से बाहर निकलना। कई बार देश के नेता हमको बेवकूफ बनाते हैं। गुमराह करते हैं कि एक बार ऍग्रीमेन्ट हो गया है। तो अब इसमें से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है।
मैं यही कहने आया हूँ आपको कि इसमें से बाहर निकलने का रास्ता है और बिलकुल साफ-साफ लिखा गया है। इसमें से कोई भी सरकार बाहर निकल सकती है। तो यही काम हम लोगों ने शुरु किया है कि हम भारत सरकार को दबाव डाल रहे हैं कि वो इस गैट ऍग्रीमेन्ट में से बाहर निकले। आप पूँछेगें अगर सरकार बाहर निकल आयी तब क्या होगा? तो इसका एक तीसरा रास्ता है। मान लीजीए भारत सरकार इसको रद्द करे और इसमें से बाहर निकल आये तो दुनिया के बहुत सारे ऐसे देश हैं जो हमारे ही जैसे हैं। जिनको बहुत नुकसान हो रहा है गैट करार से जैसे। ब्राजील है, जैसे मैक्सिको है, जैसे- चिली है, जैसे- अर्जेंटीना है, जैसे हमारे साउथ ईस्ट एशिया के बहुत सारे देश हैं अफ्रीका में नाइजीरिया है अफ्रीका में नामीबिया है इजिप्ट नाम का देश है। ऐसे तमाम देश हैं जिनको गैट करार से नुकसान हो रहा है और बहुत बार उन देशों के प्रतिनिधी कहते रहते हैं। मलेशिया नाम का जो एक देश है वहाँ के जो प्रधानमंत्री हैं जिनका नाम हैं डॉ. महात्रे मोहम्मद; वो तो कई बार कह चुके हैं गैट करार गरीब देशों के लिये खतरे की घंटी है। इसीलिए सब गरीब देशों को इसमें से बाहर निकल आना चाहिए। तो एक रास्ता और है वो रास्ता यह हैकि अगर भारत सरकार इसमें से बाहर निकले तो उन सभी देशों को बाहर निकलने के लिए रास्ता खुल जायेगा जो इसमें फंस गये हैं। और वो सब देश भी अगर इसमें
स्वदेशी कृषि
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