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डालें। नोजल को आकाश की ओर ऊंचा उठाकर अपने खेत में फसल नुस्खा 501 की फुहार उड़ाएं। नुस्खा 501 में छिड़काव का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल का है, जब मंद-मंद हवा चल रही हो। इससे फुहार सब ओर फैल जाएगी।
उपयोग का समय--
जैसा कि पहले बताया गया है सींग सिलीका चूर्ण प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) क्रिया में वृद्धि करके मजबूत पौधे बनाता है। अतः जब पौधो में तीन-चार पत्ते आ जाएं तब पहली बार नुस्खा 501 (सींग सिलिका चूर्ण) का छिड़काव करें। जिन पौधे पर फफूंद रोग का आक्रमण अधिक होता हो, उनमें प्रत्येक माह छिड़काव किया जाए जैसे टमाटर, मिर्च आदि। चूंकि यह नुस्खा फास्फोरस के साथ काम करता है, इसलिए बीज एवं फूल बनाने की क्रिया शीघ्र प्रारंभ होती है। इस नुस्खे का छिड़काव पौधे में फफूंद जन्य रोगों से बचाव के लिए वर्षभर किया जा सकता है। इसके छिड़काव का असर वातावरण में गर्मी होने पर असरदार होता है, इसीलिए इसका छिड़काव प्रातःकाल में किया जाता है, ताकि दिन की गर्मी का पूरा-पूरा लाभ मिले। सिलिका के बारीक कण सूर्य प्रकाश में चमकाकर उसका प्रभाव कई गुना बढ़ा देते हैं। अतः गर्मी, उमस तथा सूर्यप्रकाशये तीनों मिलकर इसके असर को कई गुना अधिक बना देते हैं। ___ चंद्रमा पौधे में वृद्धि कारक है उसके असर से पौध बढ़ेंगे, लेकिन वे नरम एवं जल्दी सड़ने वाले होंगे। शनि के असर से पौधे के ढांचे का निर्माण होता है। शनि के असर से पौधे आकार ग्रहण करते हैं तथा वे मजूबत होते हैं। अतः नुस्खा 501 (सींग सिलिका चूर्ण) का श्रेष्ठतम असर प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग जब शनि चंद्र आमने-सामने (180 अंश) हो तब करना चाहिए। यह समय कैल्शियम एवं सिलिका प्रक्रियाओं को मजबूती से संतुलित करता है। अतः इस समय किया गया छिड़काव पौधे को कीट रोध एवं मजबूत बनाता है। अतः इस समय नियमित छिड़काव से पाउडरी मिल्डयू, गेस्वा, ब्लाइट आदि रोगों से पौधे का बचाव होता है। नुस्खा 501 के छिड़काव से बीज की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा उसे अधिक समय तक रखा जा सकता है। इसके छिड़काव से अंगूरों की मिठास भी बढ़ती है। चारे की भी मिठास बढ़ती है, जिसे पशु चाव से खाते हैं।
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_ स्वदेशी कृषि