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________________ ही भावनाओं, आदतों, विचारों व स्थायी भावों का विकास होता है। क्रोधी, ईर्ष्यालु व शान्त स्वभाव आदि मनोभाव इसी आधार पर निर्मित होते हैं। रुचि वह अभिप्रेरक शक्ति है जो हमें किसी व्यक्ति वस्तु या क्रिया की ओर ध्यान देने के लिए बाध्य करती है। व्यक्तितव विकास के इन मनोवैज्ञानिक घटकों का संकलित संयोजन उसकी छवि व आध्यात्मिक विकास की दिशा, गति व दशाओं का निर्धारक है। ये घटक यह तय करने में सक्षम हैं कि वह आध्यात्मिक उच्चता की ओर अग्रसर हो सकेगा ( क्षायिकत्व के साथ) या विपरीत संवेगात्मक प्रवृत्तियों के चलते (उपशम के पश्चात पुनः उदय का कारक) पतोन्मुख हो जायेगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि गुणस्थान अध्ययन के मनोवैज्ञानिक पक्ष में व्यक्तित्व तत्त्व की अहम स्थिति है। 5. संवेग (Emotion) संवेगों पर मानसिक क्रियाएं संचालित होती हैं तथा यह व्यक्ति की सोच व व्यवहार दोनों में परिलक्षित होता है। समन्वित विकास के प्रतिमानों या समीकरणों के मध्य इसका अहम स्थान है यथाविकास = बौद्धिक/मानसिक + संवेगात्मक + नैतिक/चारित्रिक + सामाजिक | यहाँ सामाजिक विकास के अवयवों का स्पष्टीकरण करने पर संवेगों की भूमिका और अधिक खुलकर सामने आती है जैसे - सामाजिक बोध (Social perception), प्रतिरोधी व्यवहार (Resistant behaviour), लड़ाई-झगड़े (Fight-quarrels), सहानुभूति (sympathy), प्रतिस्पर्धा(Competition) एवं सहयोग(Cooperation)| मनोवैज्ञानिकों ने अंतरम संवेगों को अपने-अपने तरीकों से वर्गीकृत किया है यथा गिलफोर्ड के अनुसार भय, क्रोध, वात्सल्य, घृणा, करुणा-दुःख, आश्चर्य, आत्महीनता, आत्माभिमान, एकाकीपन, कामुकता, भूख, अधिकार भावना, कृतिभाव एवं आमोद आदि हैं। गेट्स इन्हें पाँच भागों में वर्गीकृत करते हैं - भय, क्रोध, प्रेम, दया और कामुकता। डॉ. महेन्द्र मिश्रा विकासात्मक मनोविज्ञान में लगभग उपरोक्त को संयोजित करते हुए प्रमुख संवेगों का अध्ययन निम्न लिखित बिन्दुओं के माध्यम से करते हैं1. जिज्ञासा(Curiosity)- जिज्ञासा समस्त ज्ञान की जननी है ऐसा प्लूटो का मत है। जिज्ञासा के साथ आश्चर्य का संवेग भी जुड़ा होता है। इसके प्रति उदासीनता शारीरिक व मानसिक विकास के लिए हितकर नहीं होती। शारीरिक भय या पीड़ा नामक संवेग जिज्ञासा 127
SR No.009365
Book TitleGunasthan ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepa Jain
PublisherDeepa Jain
Publication Year
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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