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काल चक्र : जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में
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की प्राप्ति होने के कारण कोई चोर नहीं होता। यहाँ किसी की किसी से दुश्मनी नहीं होती। यहाँ शीत, आताप, प्रचण्ड वायु एवं वर्षा नहीं होती, इसलिये प्राकृतिक वातावरण मनोरम रहता है। अवसर्पिणी के प्रारंभिक 3 काल (भोगभूमि) एक नजर में -
विषय
सुषमा-दुषमा
भूमि रचना
जघन्य भोगभूमि
काल प्रमाण
2 कोड़ाकोड़ी
1 पल्योपम
1 कोटिपूर्व + 1 समय
1 कोस
500 धनुष
सुषमा- सुषमा
सुषमा
उत्तम भोगभूमि मध्यम भोगभूमि
4 को०को० सागर 3 कोड़ाकोड़ी
3 पल्योपम
2 पल्योपम
2 पल्योपम
1 पल्योपम
2 कोस
1 कोस
| उत्कृष्ट आयु
जघन्य आयु
उत्कृष्ट ऊँचाई 3 कोस
जघन्य ऊँचाई 2 कोस
पृष्ठ हड्डियाँ
आहार प्रमाण बेर बराबर
256
आहार अंतराल 3 दिन बाद
शरीर का रंग सूर्यप्रभा सदृश
सम्यक्तव पात्रता 21 दिन बाद
128
बहेड़ा बराबर
2 दिन बाद
पूर्ण चन्द्रप्रभा
35 दिन बाद
64
आँवला प्रमाण
1 दिन बाद
प्रियंगु फल सदृश
49 दिन बाद
भोगभूमि के तीनों कालों में जिसप्रकार मनुष्यों के युगल कल्पवृक्ष सम्बन्धी आहारों से सन्तुष्ट होकर प्रेमपूर्वक क्रीड़ा करते हैं, उसीप्रकार सन्तुष्ट चित्त के धारक तिर्यंचों के जोड़े भी प्रेमपूर्वक क्रीड़ा करते हैं। उस समय कहीं सिंहों के युगल, कहीं हाथियों के युगल, कहीं ऊँटों के युगल, कहीं शूकरों के युगल