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काल चक्र : जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में होता है। कोड़ाकोड़ी का अर्थ करोड़ गुना करोड़ होता है। वर्तमान में कुछ विचारक गणनाओं में सामंजस्य बैठाने के लिये कोड़ी शब्द का अर्थ 20 अथवा 10 भी बताने लगे हैं। लौकिक में पतंग आदि कुछ वस्तुयें कोड़ी की गणनानुसार बिकती है; परन्तु अलौकिक गणनाओं में यह अर्थ उचित प्रतीत नहीं होता। - सागरोपम - यह काल का एक नाप है, जिसका अर्थ मानव को ज्ञात समस्त संख्याओं से अधिक काल वाले काल खण्ड का उपमा द्वारा प्रदर्शित परिमाण होता है। दस कोड़ाकोड़ी पल्योपम का एक सागरोपम होता है। पल्योपम की चर्चा तिलोयपण्णत्ती2 सर्वार्थसिद्धि राजवार्तिक त्रिलोकसार कार्तिकेयानुप्रेक्षा आदि अनेक आगम ग्रन्थों में विस्तार से की गई है। वहाँ इसका स्वरूप स्पष्ट करते हुये कहा है कि – एक प्रमाण योजन विस्तार वाले और इतने ही गहरे गड्ढे को उत्तम भोगभूमि में एक दिन से लेकर सात दिन तक के उत्पन्न हुये मेढ़े के करोड़ों रोमों के अविभागी खण्डों से भरकर सौ-सौ वर्षों में एक-एक बाल निकालें। जब वह गड्ढा पूरा खाली हो जाये तब एक व्यवहार पल्य (पल्योपम) होता है। असंख्य व्यवहार पल्य का एक उद्धारपल्य तथा असंख्य 50. (1) तिलोयपण्णत्ती, 4/319 व 320 (पूर्वार्द्ध)
(2) तत्त्वार्थ राजवार्तिक, 3/27/पृ. 388
(3) आदिपुराण, 3/15/पृ. 47 51. तिलोयपण्णत्ती, 1/130 52. तिलोयपण्णत्ती, 1/119-130 का सार 53. सर्वार्थसिद्धि. 3/38/439/पृ.174 का सार 54. तत्त्वार्थ राजवार्तिक, 3/38/7/पृ. 208 का सार 55. त्रिलोकसार, गाथा-102 56. कार्तिकेयानुप्रेक्षा. लोकानुप्रेक्षा, भावार्थ पृ.-56-57