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महावीर
प्रभोः
चरित्रम्
कल्पसूत्रे I करने से शांतिनाथ नाम दिया, १७ वैरीयों का कुंथुवे के समान सूक्ष्म हुये जान कुंथुसशब्दार्थ नाथ नाम दिया, १४ माता ने स्वप्न में रत्नमय आरा देखा जिससे अरनाथ नाम ।।८८२॥
दिया १९ षड्ऋतु के फूलों की माला का स्वप्न देखा जिससे मल्लिनाथ नाम दिया २० बहुत बौली माताने मौन और व्रताचरण किये जान मुनिसुव्रत नाम दिया २१ सर्व वैरीयों को नमे जान नमीनाथ नाम दिया, २२ अरिष्ट रत्न की नेमी (मणि का चक्र की) स्वप्न में देख रिष्टनेमि नाम दिया, २३ अन्धकार में सर्प के पासे के पास से जाता देख पार्श्वनाथ नाम दिया और २४ राज्य में धान्यादि की वृद्धि हुई देख मान वर्धमान नाम दिया यह २४ तीर्थंकरों के गुण निष्पन्न नाम की स्थापना की सो कहा ॥२१॥
मूलम्-पढमित्थ इंदभूई, बीओ पुणहोइ अग्गिभूईत्ति ॥ तइओय वाउभूई तओ वियत्ते सुहम्मेय ॥ मंडिय मोरियपुत्ते, अकंपिए चेव अयलभाया य॥
॥८८२॥