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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥८७२॥
अरिष्टनेमि प्रभोः चरित्रम्
तीनसौ ३०० वर्ष, राजगादी समय, नहीं । शिविका उत्तर, दीक्षा कल्याणक श्रावण शुक्ल षष्ठी, एक हजार के साथ, पहली गोचरी के दाता का नाम वरदत्त, पहली गोचरी में | क्या मिला खीर, छद्मस्थ अवस्था का काल ५४ दिन, चैत्यवृक्ष, का नाम वेतस वृक्ष, केवल कल्याणक अश्विन कृष्ण अमावास्या, निर्वाण कल्याणक आषाढ शुक्ल अष्टमी, देहप्रमाण १० धनुष, वर्ण श्याम, लक्षण शंख, नायक गणधर वरदत्त. अग्रणी साध्वी यक्षणी, प्रव्रज्या का समय ७०० सातसौ वर्ष, गणधर संख्या १८, साधु संख्या १८हजार, साध्वी संख्या चालीस हजार, श्रावक संख्या एकलाख ६९हजार, श्राविका संख्या तीनलाख ३६ हजार, साधु केवली एक हजार पांचसौ, साध्वी केवली तीन हजार, अवधिज्ञानी एक हजार पांचसौ मनःपर्यायी एक हजार, चतुर्दशपूर्वी चारसौ वैकुर्विक एकहजार पांचसौ, वादी संख्या ८०० आठसौ, शासन काल ४३॥ पौनेचौरासी हजार वर्ष, कितना पाट माक्ष में गया संख्याता । शासनदेव गोमेध, शासनदेवी अम्बा ॥ २२॥
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