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कुन्थुनाथ
कल्पसूत्रे - सशब्दार्थे 1॥८६२॥
प्रभोः
चरित्रम्
दिक्खिओ जाओ। पढम भिक्खादायारो पभवसेणो, भिक्खाए खीरं लद्धं, छउमत्थावत्थाकालो एकारसमासा, चंपग नाम चेइयरुक्खतले फग्गुण किण्ह बारसे दिणे केवलणाणं, पोस किण्हा नवमीए दिणे निव्वाणं, देहमाणं वीस धणूपमाणं, सामवण्णो, कुम्मलक्खणं, णायगगणहरों इंदकुंभो, अग्गणी साहुणी पुप्फबई, पब्वज्जाकालो अद्धसहियं सत्तसहस्सवरिसो, गणहराणं संखा अटारस, साहु संखा तीससहस्सा, साहुणी संखा पन्नाससहस्सा, सावगाणं संखा एगलक्ख बावत्तरिसहस्सा, सावियाणं संखा तिष्णिलक्ख पन्नाससहस्सा, साहुकेवली संखा अट्ठसयोत्तर एगसहस्सा, साहुणी केवली छ सयोत्तर तिण्णिसहस्सा, ओहिनाणीणं संखा असयोत्तर एगसहस्सा, मण| पज्जवनाणीणं संखा पंचसयोत्तर एगसहस्सा, चउद्दसपुवीणं संखा, पंचसया,
॥८६२॥