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कल्पसूत्रे
शब्दार्थे
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श्री कुन्थुनाथप्रभु का चरित्र
भावार्थ - जम्बूद्वीप के पूर्वविदेह में आवर्तनामक देश है । उस में खड्गी नाम की नगरी थी। वहां सिंहावह नाम का राजा राज्य करता था । संवराचार्य के आगमन पर वह उनके दर्शन के लिये गये । उनका उपदेश सुनकर उसे संसार के प्रति वैराग्य उत्पन्न हो गया ओर उसने अपने पुत्र को राज्यगद्दी पर स्थापित कर दीक्षा ग्रहण की दीक्षा लेने के बाद उच्च कोटि का तप और मुनियों की सेवा करने लगे, जिससे उन्होंने तीर्थकर नामकर्म का उपार्जन कर अन्तिम समय में समाधिपूर्वक काल पाकर सर्वार्थसिद्ध विमान में अहमिन्द्र देव बने ।
वहां से वर सर्वार्थसिद्ध देवलोक की स्थिति ३३ सागरोपम, जन्मनगरी गजपूर, पिता का नाम सुरसेन, माता का नाम श्रीदेवी, आयुष्य ९५ हजार वर्ष, गर्भश्रावण कृष्ण नवमी, जन्मकल्याणक वैशाख कृष्ण चतुर्दशी, कुंवरपद २३७५०
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कुन्थुनाथ प्रभोः चरित्रम्
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