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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ।।८१७॥
सविधिना चरित्रम्
एक हजार के साथ, पहली गोचरी के दाता पुष्य, पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्मस्थ अवस्था का काल ४ हजार वर्ष, चैत्यवृक्ष का नाम मावी, केवल कल्याणक कार्तिक शुक्लतृतीया, निर्वाण कल्याणक भाद्रपद शुक्लनवमी, देह प्रमाण १ एक सौ धनुष वर्ण श्वेत, लक्षण मच्छ, नायक गणधर वराह, अग्रणी साध्वी वारुनी, प्रव्रज्या ५० पचास हजार पूर्व, गणधर संख्या ८८, साधु संख्या दोलाख, साध्वी संख्या तीन लाख वीस हजार, श्रावक संख्या दो लाख २९ हजार, श्राविका संख्या चार लाख ७१ हजार, साधु केवली ७ हजार पांच सौ साध्वी केवली १५ पन्द्रह हजार, अवधिज्ञानी ८४००, मनःपर्यायी ७५००, चतुर्दश पूर्वी १५ सौ, वैकुर्विक १३ तेरह हजार, वादी संख्या छ हजार, शासन काल ९ करोड सागरोपम, कितना पाट मोक्ष में गया असंख्याता, शासन देव अजीत, शासनदेवी सुतारा ॥९॥
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