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________________ कल्पसूत्रे - मोक्ष प्राप्त हुआ सुनकर, शोकके सागर में निमग्न होकर उपवास किया था, तव । गौतम : स्वामिनः सशब्दार्थे : नन्दिवर्धनको बहिन सुर्दशनाने उन्हें सान्त्वना देकर और अपने घरमें लाकर उपवास विलापः ॥७३५॥ । का पारणा करवाया, इस कारण-कार्तिक शुक्ल द्वितीया 'भाई-दुजा' के नामसे केवलज्ञान प्राप्तिश्च ६. विख्यात हो गई ॥४३॥ । भगवओ परिवारवण्णणं मूलम्-तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स इंद- .. भूईप्पभिईणं (१४००) चउद्दस सहस्ससाहूणं उक्विट्ठा साहूसंपया होत्था। .. चंदणबालापभिईणं (३६०००) छत्तीस समणीसाहस्सीणं उक्किदा समणी- .. संपया। संखपोक्खलिप्पभिइणं (१५९०००) एगूणसद्विसहस्सब्भहियाणं एगसयसहस्स समणोवासगाणं उक्किट्ठा समणोवासगसंपया। सुलसा रेवईपभिईणं .. ॥७३५॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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