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समभावः
कल्पसूत्रे ! संसार को अल्प किया। (४), इन चारों पारणों के अवसर पर स्वर्ण वर्षा आदि पांच- उपकाराप
कारविषये सशब्दार्थे पांच दिव्य, पदार्थ प्रकट हुए। इसी प्रकार तीसरा चातुर्मास चम्पा नगरी में हुआ। इस THE ॥२८८॥
चार्तुमास में भगवान् ने दो-दो मास का पारणा किया ३ । चौथे चौमासे में पृष्ठ चम्पा नगरी में रहे । वहां चौमासी तप किया ४ । पांचवां चौमासा भद्रिका नगरी में किया, और वहां भी चौमासी तप किया। फिर भगवान् ने भद्रिका नगरी में नाना प्रकार के अभिग्रहों से युक्त चौमासी तपस्या के साथ छठा चौमासा किया। सातवां l चर्तुमास आलम्भिका नगरी में चौमासी तप से व्यतीत किया। आंठवां चर्तुमास राजगृह नगर में चौमासी तपश्चरण के साथ किया ॥५०॥
मूलम्-तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नयराओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता कठिणकम्मक्खवणटुं अणारियदेसं समणुपत्ते । तत्थ णं नवमं चाउम्मासं चाउम्मासतवेण ठिए। तत्थ णं भगवं इरियासमिइसमिए ॥२८८॥