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पूज्य तपस्वीजी महाराज साहेब का संक्षिप्त परिचय ॥ __ पूज्य तपस्वीजी महाराज का जन्म मेवाड़ प्रदेश के बदनोर प्रांत के दाणीका 'रामपरा' नामक गांवमें हुवा आप तीन भाई थे आप जन्म से ही वैराग्य भावाले थे, अतः वाल्यकाल से ही संसार से विरक्त भावो होने से बाल्यक्रीड़ा आदि मे भी आप का मन नहीं लगा। ऐसे विरक्तता धारण करते और योग्य गुरु की शोध करते करते आप को पूज्य 'घासीलालजी' महाराज का समागम हुआ और योग्य गुरु का समागम होते ही आप का वैराग्य भाव उत्कट रूप से जग ऊठा वैराग्यभाव से प्रेरित होकरके पूज्यश्री से संवत् १९९६ में-आपने दीक्षा धारण की । पूज्यश्री से दीक्षित होने के पश्चात् आप साधुचर्या में विचरते हुए अनेक तपस्यायें करते रहे, आपने ९२ वीरानवें दिन पर्यन्त को तपस्या की है। आप इतने लिखे पढे न होने पर भी गुरुकृपा से एवं तपस्या के वल से शुद्ध तात्विक श्रद्धा के साथ साथ थोकडे एवं शास्त्रीय गूढ तत्वों के समझने में शास्त्र का अच्छे ज्ञानधारक थे। ___ यह इतने तक की पूज्य आचार्य महाराज सा० घासीलालजी महाराजश्री शास्त्रोद्धार का टीका-रचना
आदि कार्य कर रहे थे उस कार्य में गूढ विषयों की चर्चा में आप कभी कभी तपस्वीजी की सलाह लेते थे, .. और तपस्वीजी की सलाह के अनुकूल-सुधार वधारा होता था।