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प्रिशलादेवी कृतपुत्रस्तुतिः
कल्पसूत्रे - ऊपर खेल करने वाले), तूणावन्त (तूणा नामक बाजा बजाकर कथा करने वाले),-इन सशब्दार्थे सब से नगर को युक्त करवाया। १९७॥ IN तथा हजारों जुए और हजारों मूशल मंगवाकर एक किनारे रखवा दिये, जिससे कि
इस महोत्सव में, अर्थात् श्री महावीर प्रभु के जन्म के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले उत्सव के समय, कोई भी मनुष्य गाडी और हल न जोते, तथा किसी भी धान्य आदि वस्तु को न कूटे, | अर्थात् सभी लोग उत्सव में सम्मिलित होकर आनन्द का उपभोग करें ॥३०॥
- मूलम्-तए णं ललिय-सीलालंकियमहिला गिइ कुसला तिसला कमणिHII ज्जगुणजालं विसालभालं बालं विलोगिय समुच्छलंतामंदाणंदतरलतरंग
महासिनेहकरुणगिहणिमामज्जमाणमाणसा इत्थीपुरिसलक्खणणाणवियक्खणा, पईयपुत्तलक्खणा तं थविउमुवक्कमित्था किं गुणगणवज्जिएहिं बहूहिं तणएहिं ?
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