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दशाश्रुतस्कन्धमत्रे अनुकूलवचनं स्पर्श:= शीतोष्णादिः, रसः = मधुरादिः, रूपं नीलपीतादिकम्, गन्धः कस्तूरिकाधामोदः, माल्यं = जातीप्रभृतिकुसुमरचितमाला, अलङ्कारः = केयूरादिभूषणम् - एभ्यो यावजीवमप्रतिविरतः, सर्वस्मात् शकटेत्यादि-शकटस्थौ प्रसिद्धौ यानं= जल -- स्थल--नभोगमनसाधनं नौकावायुयानप्रभृतिलक्षणम् , युग्यम्-पुरुषद्वयोक्षिप्तयानम् , गिल्लिः पुरुषम्कन्धैरुह्यमाना दोलिका, थिल्लिा वेसरादिवाह्ययानम् 'खच्चरगाडी' इति भाषायाम्, शिविका प्रसिद्धा 'पालखी'
'नास्तिकवादी फिर किस वस्तु से निवृत्ति नहीं करता है ? सो कहते हैं- सव्वाओ कसाय० ' इत्यादि ।
वह नास्तिकवादी सब प्रकार के कषाय आदि से निवृत्ति कर नहीं सकता । अर्थात् कपाय-पांच वर्ग के रंगे हुए वस्त्र आदि से तथा दन्तधावनकष्ठ सचित्त जलसे स्नान करना, शरीर पर तैल का मालिश करना, शरीरशोभा के लिए चन्दन आदि का लेप करना, अनुकूल वचन, शीत उष्ण आदि स्पर्श, मधुर आदि रस, नील आदि रूप, कस्तुरी आदि की सुगन्धि, जुही आदि पुष्पों की माला, केयूरभुजबन्ध आदि भूषण, इन से जावजीव निवृत्ति नहीं करता है। तथा सर्व शकट आदि से विरति नहीं करता है । अर्थात् शकट-गाडी, रथ, यान, जल स्थल आकाश आदि में चलने वाले नौका हवाई जहाज आदि, युग्य-दो पुरुषों द्वारा उठाया जाने वाला वाहन । गिल्लि-पुरुषों के कन्धे से उठा ये जाने वाला वाहन-डोला पालखी। थिल्ली-खच्चरगाडी, शिविका-पालखी, स्यन्दमानिका-जिस में केवल एक ही पुरुष
- નાસ્તિકવાદી ફરી કઈ કઈ વસ્તુથી નિવૃત્તિ પામી શકતું નથી? તે કહે છે – 'सव्याओ कसाय०' त्याह
તે નાસ્તિકવાદી તમામ પ્રકારના કષાય આદિથી નિવૃત્તિ પામી શકતો નથી ! અર્થાત્ કષાય- પાચ જાતના ૨ગથી જગાએલા વસ્ત્ર આદિથી, તથા દતધાવનકાષ્ઠ, સચિત્તજળથી સ્નાન કરવુ શરીરની શોભા માટે ચન્દ્રન આદિને લેપ કર, અનુકૂલવણી, શીત–ઉણ આદિ સ્પર્શ, મધુર આદિ રસ, નીલ આદિ રૂપ, કસ્તુરી આદિની સુગન્ધિ, જુઈ આદિ પુષ્પોની માળા કેયૂ-ભુજબન્ધ આદિ ભૂષણ એનાથી જ જાવજીવ નિવૃત્તિ પામતા નથી તથા સર્વ શકટ આદિથી વિરતિ લેતા નથી અર્થાત શકટ=ગાડી,
, યાન-જલ, સ્થલ, આકાશ આદિમાં ચાલવાવાળા નૌકા, હવાઈજહાજ આદિ, युग्य में पुरुषाधा। 6पाडवाभा मावता पान, गिल्लि- पुरानी मांधी 843बामा भापता पाईन, 31el, पापी, थिल्लि भय२ ॥ शिपिका = पापी