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________________ विपाकचन्द्रिका टीका, श्रु० १, अ० ९, देवदत्तावर्णनम् ६७७ तावेइ, तावित्ता तत्तं समजोइभूयं फुल्लकिंसुयसमाणं संडासएणं गहाय जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिरीए देवीए अपाणंलि पक्खिवेइ । तए णं सा सिरी देवी महया२ सदेणं आरसित्ता कालधम्मुणा संजुत्ता ॥ सू० १८ ॥ टीका। 'तए णं सा' इत्यादि। 'तए णं सा' ततः खलु सा 'सिरीदेवी' श्रीदेवी'अण्णया कयाई'अन्यदा कदाचित् एकस्मिन् समये 'मजाविया' मन्जिता-स्नपिता सती 'विरहियसयणिज्जसि' विरहितशयनीये-एकान्तशय्यायां 'सुहपसुत्ता' सुखप्रसुप्ता=सुखनिद्रामुपगता 'जाया यावि होत्था' जाता चाप्यभवत् । 'इमं च णं देवदत्तादेवी, एतस्मिन्नवसरे देवदत्ता देवी 'जेणेव सिरी देवी' यत्रैव श्रीदेवी 'तेणेव उवागच्छइ' तत्रैवोपागच्छति । 'उवागच्छित्ता' उपागत्य 'सिरिं देवि श्रियं देवीं 'मज्जावियं' मज्जितां-स्नपिताम् अत एव "विरहियसयणिज्जंसि सुहपसुत्तं विरहतिशयनीये सुखप्रसुप्तांगाढनिद्रासमाक्रान्तां 'पासइ' पश्यति, 'पासित्ता' दृष्ट्वा 'दिसालोयं' दिशालोकं चतुर्दिक्षु 'तए णं सा' इत्यादि। 'तए णं सा' कुछ दिनों के बाद यह घटना घटी, श्रीदेवी 'अण्णया कयाई किसी एक समय मज्जाविया' स्नापित होती हुई 'विरहियसयणिज्जंसि' एकान्त में अपनी सेज पर 'सुहपसुत्ता जाया बावि होत्था' सुख की निद्रा में सो रही थी 'इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ' यह देवदत्ता देवी उस सिरी देवी के पास आई 'उवागच्छित्ता सिरिं देवि मज्जावियं विरहियसयणिज्जंसि मुहप-. सुत्तं पासई और उसने उसे स्नान कर एकान्त में सेज पर सुख से सोती हुई देखा । पासित्ता दिसालोयं करेइ' देख कर फिर इसने 'तए णं सा' त्यादि. 'तए णं सा' सो समय गया पछी मा घटना , श्रीदेवी 'अण्णया कयाई से समय 'मज्जावियानान शने 'विरहियसयणिज्जसि' तमा पोतानी से-पथारीमा 'मुहपसुत्ता जाया याषि होत्या' सुमनी निद्रामा सूरही ती. 'इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छई' ते पहता हेवी, २ श्रीवाना पाटे माव्या 'उवागच्छित्ता सिरि देवि मज्जाविय विरहियसयणिज्जसि मुह पसुत्तं पासई भने तेने स्नान ४२ शान्तमा -५ ५२ सुभेधी सुतेही न. 'पासित्ता दिसालोयं करेइ ' ने ५४ी तो यादेय
SR No.009356
Book TitleVipaksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages825
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size58 MB
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