SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४ नं. विषय २३ गौतमस्वामीका मृगापुत्रको देखना २४ मृगापुत्रके अवलोकनसे गौतम स्वामीके मनका विचार २५ भगवान् के समीप गौतमस्वामीके द्वारा मृगापुत्रका वर्णन २६ मृगापुत्र के विषय में गौतमस्वामीका प्रश्न २७ शतद्वारनगर और धनपतिनृपका वर्णन २८ विजयवर्द्धमान खेड का वर्णन २९ एकादि राष्ट्रकूटका वर्णन ३० एकादिराष्ट्रकूटका न्याय वर्णन ३१ एकादिराष्ट्रकूटको सोलह प्रकारके रोगोंका उत्पन्न होना और वैद्यादिको बुलानेकी आज्ञा करना १३४-१३९ ३२ वद्यादिकाने राजाके रोगका निदानकर उसका उपचार करना ९४०-१४४ ३३ रोगको असाध्य मानकर वैद्यादिकोंका पीछे जाना १४५ ३४ एकादिराष्ट्रकूटका मरकर नरकायुका उपभोग करके मृगादेवीका गर्भ में आना ३५ गर्भ के प्रभाव से मृगादेवीका शरीरमें पीडा होना और पतिद्वारा अपमानित होने का वर्णन ३६ मृगादेवीका मानसिक विचार ३७ मृगपुत्रका वर्णन ३८ मृगाडुत्रका अनागत भवका वर्णन ३९ वाणिजग्राम नगरका वर्णन पृ. १०५-१०८ १०९ - १११ ११२ - ११४ ११५ ११६-११८ ११९ १२०-१२४ १२५-१३३ ४३ मित्रराजकी समृद्धिका वर्णन ४४ गौतमस्वामीका भिक्षाचर्याके लिये जाना १४६-१५० १५१-१५३ १५४-१५६ १५७-१७१ १७२-१८६ १८६-१९० १९१-१९७ ४० कामध्वजा वेश्याका वर्णन ४१ उज्झितक दारकका जन्मका वर्णन १९८-२०० ४२ भगवानको वन्दन करनेके लिये मित्र राजाका जाना २०१-२०२ २०३-२०५ २०५ -२०८
SR No.009356
Book TitleVipaksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages825
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size58 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy