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विपाकचन्द्रिका टीका, श्रु० १, अ० २, उज्झितकपूर्वभववर्णनम् २३१
सा तथा, 'पंडुइयमुही' पाण्डुकितमुखी-पाण्डुरीभूतवदना 'जाव' यावत्, __यावच्छब्देन-'ओमंथियनयणवयणकमला जहोचियं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं अपरिझुंजमाणी करयलमलियन कमलमाला ओहयमणसंकप्पा' इति संग्रहः । अवमथितनयनवदनकमला अधःकृत नेत्रमुखकमला यथोचितं यथायोग्यं पुष्पवस्त्रगन्धमाल्यालङ्कारम् अपरिभुञ्जाना=असेवमाना करतलमलिता-हस्ततलमर्दिता कमलमालेच कान्तिहीना. अपहतमनःसंकल्पा-कर्तव्याकर्त्तव्य विवेकविकला सती ध्यायति-आतेध्यानं करोति ।। मू० ७ ॥ बिलकुल पीला पड गया, 'ओमंथियनयणवयणकमला' चिंता के मारे उसके नेत्र और सुख नीचे की ओर हो रहता था, 'जहोचियं पुष्फ वत्थगंधमल्लालंकारं अपरिझुंजमाणी' पुष्प, वस्त्र, गंध, माला और अलंकारों को भी यथोचितरूप से धारण नहीं करती, वह 'करयलमलिय व्य कमलमाला' हाथ से कुचली हुई कमलमाला के समान कान्तिहील हो गई और ओहयमगसंक्रप्पा झियायइ' आतध्यान में ही अपना सब समय व्यतीत करने लगी ॥
. भावार्थः- एक समय की बात है कि वह उत्पला गर्भवती हुई। जब उसका गर्भ ठीक तीन माह का हो चुका तब गर्भ के प्रभाव से उसे इस प्रकारका एक दोहला उत्पन्न हुआ कि- वे माताएँ धन्य हैं, और उन्ही का जन्म और जीवन सफल है जो अपने दोहलों की पूर्ति जानवरों के मांस के साथ अनेक प्रकार की मदिरा के सेवन से करती हैं। खुद खाती पीती हैं और दूसरों को भी खिलानी पिलाती रहती हैं। उन जैसी भाग्यशालिनी और Avr नी आयु. भने म पानी पी 15, ते ओमंथियनयणवयण कमला' Qिताना ४१२४थी सेना नेत्र अने भु५ नाये २उतi-ढणेक्षा २७ता. 'जहोचियं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं अपरिभुंजमाणी' टा, वन, यहन, भाता भने ५६ रोने ५९ नये तेवा प्रभाभा पा२९ ४२ती नाड, 'करयलमलियब्ध कमलमाला' ते 12 43 शने यरी नामेली भाती भाषा समान न्तिडीन थ 5 'ओहयमणसंसप्पा झियायइ' भने मात्तध्यानमie पोतानो तमाम સમય વીતાવવા લાગી.
ભાવાર્થ-એક સમયની વાત છે કે ઉત્પલા ગર્ભવતી થઈ, ત્યારે તેને ગર્ભ બરાબર ત્રણ માસનો થયે ત્યારે તે ગર્ભના પ્રભાવથી તેને એવા પ્રકારને એક દોહલો ઉત્પન થયો કે તે માતાઓ ધન્ય છે. અને તેનો જન્મ તથા જીવન સફળ છે કે જે પોતાના દોહલાની પૂર્તિ જાનવરોનાં માંસ સાથે અનેક પ્રકારના મદિરા સેવનથી કરે છે, ખુદ પોતે ખાય-પીયે છે, અને બીજાને પણ ખવરાવે–પીવરાવે છે, તેના જેવી