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________________ विपाकचन्द्रिका टीका श्रु. १, अ. २, गौतमस्य भिक्षाचर्यार्थ गमनम् २०५ . 'धम्मो कहिओ' धर्मः-श्रुतचारित्रलक्षणो धर्मः कथितः-भगवता निगदितः । 'परिसा राया पडिगया' परिषत् , राजा मित्रयूपश्च, सबै प्रतिगताः- यस्या एव दिशः प्रादुर्भूतास्नामेव दिशं प्रतिगता इत्यर्थः ॥ ० ३ ॥ ॥ मूलम् ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्त भगवओ महावीरस्स जेडे अंतेवासी इंदई जाव तेउलेस्ले छटे-छद्देणं जहा पणतीए पहनाए जाव जेणेव वाणियग्गामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता · बाणियग्गामे उच्चनीचमज्झिमकुलाई अडमाणे जेणेव रायभन्यो तेणेव उवागच्छइ, उवायच्छित्ता तत्थ णं बहके हत्थी पासइ, सण्णवद्धबम्मियगुडिए उत्पीलियकयत्थे उद्दामियघंटे णाणामणिश्यविविहगेवजे उत्तरकंचुइए परिकप्पियज्झयपडागवरपंचामेले आरूढहत्थारोहे गहियाउहपहरणे । अण्णे य तत्थ बहवे आसे पासइ, लण्णबद्धनम्मियगुडिए, आविद्धगुडे, ओसारियपाखरे उत्तरकंचुइए ओचूलमुहचंडाधरचामरथासकपधन्य हैं, आपके बच्चन बिलकुल सत्य है' इत्यादि बचनों का उच्चारण करना सो बचन से उपासना है, भगवान की लेवा भक्ति में मन लगाना सो मनद्वारा उपासना है! 'धम्मो कहिओ' प्रभुले आई हुई परिषद और राजा को धर्मका उपदेश दिया। 'परिसा राया पडिया' श्रुत चारित्ररूप धर्म का उपदेश श्रवणकर परिषद् जहां से आई थी वहां वापिस गई । राजा भी अपने नगर को वापिस गया ॥ सू० ३ ॥ . વચન નીકળતાં જ “ભદન્ત! ધન્ય છે, આપનાં વચન બિલકુલ સત્ય છે” ઈત્યાદિ વચનનું ઉચ્ચારણ કરવું તે વચનની ઉપાસના છે, ભગવાનની સેવા-ભક્તિમાં મન Ans त भन द्वारा पासना छे. 'धम्मो कहिओ' प्रभुणे पा२१६ तथा रातन धमनी पहेश माया. परिसा राया पडिगया' श्रुतयात्र३५ मना उप६श સાંભળીને પરિષદ્ જ્યાંથી આવી હતી ત્યાં પાછી ગઈ, રાજા પણ પોતાના નગર તરફ पाछे। गयो (सू० 3)
SR No.009356
Book TitleVipaksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages825
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size58 MB
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