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________________ ७८५ प्रियदर्शिनी टीका ज २२ नेमिनायग्निनिम्पणम अन्य बहवो यादगाश्च एवम्="ईतिमनारय त्वरित मामाह, दशनादिना च गर्दैमाना भव"ति पूनागीमा भगन्नमरिष्टनेमि पन्दित्या स्तुत्वा नत्या न द्वारकापुरीम् अतिगता गतवन्तः। गुणोत्वपनचकानामाशीर्वचनाना स्तुतिरूपत्व प्रसिद्धम् । अत 'एर उदित्ता' इत्युक्तम् ॥२७॥ मगवटीलाग्रहणानन्तर त्रुटित नत्मगमाशा राजीमती कीशी भूत्र, तदाहमलम्-सोऊण रायवरकन्ना, पवन सा जिणसं उ। नीहासी उ निरानदा सोगेण 3 समुच्छिया ॥२८॥ ठाया--श्रुत्वा राजवरकन्या, प्रज्या सा जिनम्य तु । निर्वासातु निरान दा शोकेन तु समृद्रिता ॥२८॥ टीका--'मोऊण' इत्यादि। राजरसन्या-राजसम्राना मये वर. श्रेष्ठ'-उग्रसेन , तस्य कन्या, मा राजीमती तु मिनस्य भगतोऽरिष्टनेमे प्रत्रया-दीक्षा-दीक्षासमाचार (दसाराय-दशाह.) समुद्रविजय आदि यादव एब (यहजणा-बहुजना) ' और भी अन्य वन्त से जन (एवम्) हे नेमिकुमार ! "आप शीघ तो अपने मनोभिलपित अर्थ की प्राप्ति परो तथा दर्शन आदि से बढते रहो" इस प्रकार आशीर्वादात्मक वचन कहते हए (अरिष्टनेमि वत्तिाअरिष्टनेमि पदित्वा) भगवान् को वन्दना रके एव उनकी स्तुति करके (वारगाउरि अइगया-द्वारकापुरी अतिगताः) द्वारकापुरी गये ॥२७॥ अब जब राजीमती की नेमिकुमार के मिलने की आशा बिलकुल हट गई तप उसकी क्या दगा हुई मो सूत्रकार प्रकट करते हैं___ 'मोऊण' इत्यादि। थन्वयार्थ (गयवरमन्ना-राजवरकन्या) राजाओं में श्रेष्ठ उग्रसेन की वर का राजीमती (जिणस्स-जिनस्य) नेमिनाथ भगवान् की दशार्हा समुद्रविनय कोरे या४५ भने मीon ५ बजणा-बहुजना घg भाष्य એ હે નેમિકુમાર! “આપ જલદીથી તમારા મનની અભિલાષાને પૂર્ણ કરો અને દર્શન અહિંથી વધતા રહો” આ પ્રકારના આશીર્વાદાત્મક વચન કહેતા કહેતા अरिहनेमि वदित्ता-अरिष्टनेमि वदित्वा अस्टिनेमि मचानने यान:श, सभी स्तुति रान चारगाउरि अब गया-द्वारकापुरी अतिगताः पुरी गया ॥२७॥ નજીમનીની નેમિકુમારને મળવાની આશા જ્યારે બિલકુલ તટો ગઈ ત્યારે मेनी शु शा यतन सूत्रधार ८४२ छ --"सोऊग" त्यiler मन्वयार्थ - रायारकन्ना-जवरकन्या मामा सवश्रेष्ट सेवा सेन Dinनी मे .या २७मती जिणस्स-जिनस्य नामनाथ भगवानन पच सोऊण
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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