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________________ ७२८ प्रियदर्शिनी टीका य १९ मृगापुरचरितवणनम् विस्फुरन् इतस्ततश्चन अहम् अनेकश बहुगार भुवि पातितः, जोर्णवस्त्रवत् पास्ति , क्षवत् छिन्ना छेदितश्च । ५४॥ किं च-- मृलम्---असीहि अयसीवण्णाहि, भल्लीहि पहिसेहि य । छिन्नो भिन्नो विभिन्नो ये, उववण्गो पावकम्मुणा ॥५५॥ छाया-असिभिरतसीवणे , भल्लीभि. पटिशैश्च । छिन्नो भिन्नो विभिन्न व, उपपत्र पापफर्मणा ॥५५॥ टोका-'असीहि' इत्यादि । हे मातापितरो। नरके पापकर्मणाम् पापकर्मप्रभावेग उपपन्न उत्पन्नोऽहम् परमाधार्मिकैः अनसीवणे =अतसीवत्कृष्णवर्णरसिभि =खरै', छिनडेदित , ___मावार - मगापुत्रने मातापिता से दु ग्वों को भोगने के सिलसिले म यह कहा कि मैं पूर्वभवों मे भोगे गये दु ग्वों को और कहांतक सुनाऊ । नरकों मे श्याम और शवल जाति के परमाधार्मिक देवोने जो मेरी दुर्दशा की वह मे ही जानता है। उन लोगोने मय से कापते हुए मुझे अनेकवार तो जमीन पर पटा तथा पटक्कर मेरे शरीर क जीर्णयन्त्र की तरह टो टुडे क्येि और फिर पक्ष की तरह मुझे काटा ॥५४॥ फिर भी-'असीहिं' इत्यादि । अन्वयार्थ--हे माततात ! नरक में (पावकम्मुणा-पापकर्मणा) पापकर्म के उदय से (उचवण्णो-उपपन्न) उत्पन्न हुआ मै परमाचार्मिक देवों द्वारा (अयसी वण्णाहिं अमिहिं-अतसीवणे असिभि) अलसी के पुष्प समान कृष्णवर्णवाली तलवारो से (लिन्नो-लिन्न ) छेदित किया गया ह-तथा (मल्लिहिं-भल्लीभि) भालाओं से (मिन्नो-भिन्न) ભાવ થ–મૃગાપો માતાપિતાને દુ ખ ભોગવવાની બાબતમાં આમ કહ્યું કે, મે પૂર્વભવો ભેગવેલ દુ ને વધારે ગ્યા સુધી સ ભળવુ ? નરકોમાં નયામ અને સબળ જતિના ૫માધામિક દેએ જે મારી દર્દ ના કરી છે તેને હું જાણ શુ તે લેકાએ ભાવથી કાપી રહેલા એવા મને અનેક વખત જમીન ઉપર પછા ડને તથા જમીન ઉપર પછડાયેલા મારા શરીરને જુના વસ્ત્રની માફક ચી? નાખ્યું અને ઝડની માફક મને છેદી નાખ્યા ૫૪ ant qg-"असीहि त्या अन्वयार्थ ---- मातापिता। न२४मा पवित्रम्मुणा-पापकर्मणा पापभाना यथी उबवण्णो-उपपन्न उत्पन्न थयेस पारामिहेवा ४ २१ अयसीवग्णाहि असिहि-अतसीवर्ण असिभिः मशीन दाना कवी आणी २१ ताशया छिन्नो-छिन्न छायो '3 तथा मल्लेहि-मल्ले: मासायाधी भिन्नो-भिन्न:
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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