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________________ उत्तराध्ययनसूत्रे तथा- मूलम् - अको संवह विईन्तु धीरे, मुणी चरे लांढे निच्चमायगुंते । अविग्गमणे असंपेंहिट्टे, जो कर्सिंग अहियाँसए से भिक्यूँ ॥३॥ छाया -- आक्रोशवध विदित्वा धीरो, मुनिवरेत् लादो नित्यमात्मगुप्तः । अव्यग्रमना असमहृष्टो यः कृत्स्नम यासीत स भिक्षुः ||३|| टीका--'अक्कोसवह' इत्यादि । मुनिः आक्रोशधम् - आक्रोशनम् - आक्रोश - असभ्यालाप, वधस्ताडनम्, अनयो. समाहारद्वन्द्वः, एतत् आक्रोशवध, विदित्वा = ' स्त्रकृतकर्मणः फल - मिति मत्वा धीरः क्षोभरहित', तथा - लाइ' = सदनुष्ठाने तत्परः, तथा आत्म गुप्त = गुप्तो रक्षितोऽसयमस्थानेभ्य आत्मा येन तथा-भूत सन् नित्य= सर्वेदा चरेत् = प्रतिवद्धो भूत्वा विहरेत् । तथा-अव्यग्रमना = अव्यग्र तप सयमाराधने अनाकुल मनो यस्य स तथा अपि च- असमहृष्ट = सत्कारपुरस्कारे समाप्तेऽपि हर्परहित, यद्वा-कश्चित् कमपि दुर्वचनादिभिर्भर्त्सयतीति दृष्ट्वा हर्षरहित, अथवा तथा - 'अकोसवह' इत्यादि । अन्वयार्थ - मुनि ( अक्को सवह- आक्रोशवधम् ) असभ्यवचनरूप वधको अपने द्वारा पूर्वकृत कर्म का फल (विहतु विदित्वा ) जानकर के (धीरे लाढे - धीर' लाढ.) उस समय क्षोभरहित एव सदनुष्ठान मे तत्पर ही बना रहे और ( आयगुत्ते - आत्मगुप्त ) असयम स्थानो से अपनी आत्माकी रक्षा करता रहे। एव ( अविग्गमणे - अन्यग्रमनाः ) सयम तथा तपकी आराधना करने में उपस्थित परीषद् एव उपसर्गो से अनाकुल मन होकर तथा (अमपहि--असप्रहृष्ट . ) सत्कार पुरस्कार से सत्कृत एव पुरस्कृत होने पर भी हर्षभाव से रहित होकर (निच्च चरे तथा-- 'अक्कीसवह" त्यिाहि । अन्वयार्थ - भूनि अक्कोसवह- आक्रोशवधम् असभ्य वचन३५ आझेश अने ताडन३५ वधने पोताना द्वारा पूर्व मनु ण वित्त-विदित्वा लगीने धीरे लाटे-घोर लाढ यो सभये क्षेोल रहित तेभन सहनुष्ठानमा तत्पर मनी रहे अने आयगुत्ते - आत्मगुप्त असयम स्थानाथी पोताना आत्मानु रक्षण उरता रहे भने अविग्गमणे - अव्यग्रमना सयम तथा तथनी आराधना रवाना भावता परीषड रमने उपसर्गोथी मनाउन भन थाने तथा असपट्टेि असमष्ट सत्र पुरस्कारथी भट्टत भने पुरस्कृत थवाथी भए उपभावथी रहित थाने निच्चचरे - नित्य चरेत्
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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