SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - उत्तगाध्ययनसून अत्यन्त भुक्तवा. दुग्धताहिक च मकामग' पीत्वा निद्रागीला-निद्रालुः मन् सुख यथा स्यात्तथा सपिति-शेते, म पापत्रमण. पापिष्ठ साधरित्युच्यते ॥३॥ पुनरप्याहमूलम्-आयरियेउवज्झाएहिं, सुंय विणय च गाहिए। ते'चेव खिर्सई वाले, पावंसमणे-तिं वुड ॥४॥ छाया-आचायोपाध्याय , श्रुत विनय च ग्राहित । तानेर खिसति पाल, पापयमण इत्युच्यते ॥४॥ टीका-'आयरिय' इत्यादि । आचार्योपा याय. श्रुतम्-आगम शब्दत अर्थतव, विनय-ज्ञानदर्शनचा. (भोचा-भुत्तवा) खा करके (पेचा-पीत्या) तथा दुग्ध,तक आदि को खूब मनमाना पी करके (निदासीले-निद्राशील) निद्रा प्रमादमे पडकर (सुह सुअइ-सुख स्वपिति) सुखपूर्वक सोता रहता है (से पावसमणे त्तिबुच्चडसः पापश्रमणः इत्युच्यते) वह साधु पापश्रमण है-वह पापिष्ठ साबु है ऐसा कहा जाता है। भावार्थ-यथेच्छ खा पीकर जो निद्राशील बनकर सोता रहता है-धार्मिक क्रियाओमे उपेक्षा रखता है यह साधु नहीं स्वादु पापश्रमण है ऐसा जानना चाहिये ॥ ३ ॥ तथा-'आयरिय' इत्यादि । __ अन्वयार्थ-जो मुनि (आयरिय उवजाहि-आचार्योपाध्यायै.) आचार्य एव उपाध्याय (सुय विणय च गाहिए-श्रुत विनय च नाहित.) शास्त्र पढने की तथा विनयशील-ज्ञान दर्शन चारित्र व उपचार विनय पीत्वा दूध, छाथ भाहिने भनभानी na भूम पान निवासीले-निद्राशील' निद्राप्रभाहमा ५ सुह मुहइ-मुख स्वपित्ति सुमधुप सुध २ छ से पावसमणेत्ति धुचइ-स. पापशमण इति उच्यते ते साधु पाश्रम छ सयु अपामा मावे छ ભાવાર્થયથેચ્છ ખાઈ પીને જે નિદ્રાશીલ થઈને સૂતા રહે છે–ધાર્મિક ક્રિયા એમા ઉપેક્ષાવૃત્તિ રાખે છે તે સાધુ નહીં પર તુ પાપભ્રમણ છે એવું જાણવું જોઈએ ? तथा "आयरिय" त्यादि। मन्वयार्थ:--- मुनि आयरिय उवज्जाएहि-आचार्योपाध्यायै माया भने उपाध्यायन सुय विणय च गाहिए-श्रुत विनय च ग्राहित शास्त्र माणुवानी, तथा વિનયશીલ જ્ઞાન દર્શન આદિ અને ઉપચાર વિનયને પાલન કરવાનું શિક્ષણ આપે.
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy