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औषपातिकतने समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, नमोत्थु ण अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्ह धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स। पुब्धि णं अम्हेहिं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवाए पच्चस्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मुसावाए अदिपणादाणे पञ्चक्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मेहुणे पञ्चम्खाए जाव'नमोत्यु ण समणस्स भगवओ महावीरस्स जारसपाविउकामस्स' नमोऽस्तुसल श्रमणाय भगवते महाबाराय यावत् सम्प्राप्तुकामाय, 'नमोत्थु ण अम्मडस्स परिवायगस्स अम्ह धम्मायरियम्स धम्मोवढेसगस्स' नमोऽस्तु ग्यचम्बटाय परिव्राजकाय अस्मारु धमाचार्याय धर्मोपदेशकाय । धर्माचार्यत्व प्रस्टयति-'पुन्धि ण अन्हेहि अम्मडम्स परिवायगस्स अतिए यूलगपाणाझाए पच्चक्रवाए जावज्जीवाए' पूर्व खन्चस्माभिरम्बडस्य परिबाजकस्याऽतिके स्थूलप्राणातिपात प्रत्यारयातो यावज्जायम्-जावनपर्यन्त स्थूलप्राणातिपात पिरमगमस्माभिरङ्गीकृतम्। 'मुसावाए अदिण्णादाणे पञ्चक्खाए जावजीवाए' श्रमण भगवान् महावीर को जो मुक्ति प्राप्त करने के कामी हे ,नमस्कार हो। (चम्मोवदेसगम्स धम्मायरिगस्स अम्ह परिव्वायगस्स अम्मडस्स नमोत्यु ण) धर्म के उपदेशक धमाचार्य ऐसे हमारे गुरु अम्मड परिव्राजक को नमस्कार हो। (पुन्धि ण अम्हेहिं अम्मडस्स परिवायगस्स अतिए यूलगपाणाइवाए जावज्जविाए पच्चक्खाए) पहिले हम लोगों ने अम्बड परिव्राजक के समीप स्थूलप्राणातिपातका यावजीव प्रत्याग्यान किया है । (सम्वे मुसावाए अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए सर्व मेहुणे पञ्चलाए जावजीवाए यूलपरिग्गहे पञ्चक्खाए जावज्जीवाए) इसी तरह त्थु ण) श्रभा लगवान महावीर है २ भुति प्रात ४२वानी मनावाणा
भने नभ२४।२। (धम्मोवदेसगस्स धम्मायरियस्स अम्ह परिव्वायगरस अम्म डस्स नमोत्थु ण) धर्मना पहेश धायार्थ सेवा अभाश गुरु अम्भ पार
ने नभन्४२ (पुचि ण अम्हेहिं अम्मडस्स परियायगस्स अतिए थूलगपा जाडमाए जायज्जीपाए पन्चमसाए) पडसा समेबाजी २५म परिवानी पास भ्यू प्रायातिपातनु या१४३०१ प्रत्याभ्यान युछे, (सव्ये मुसापाए अदिण्णा दाणे पचम्साए जावजीनाए, सन्चे मेहुणे पन्धस्साए जानज्जीवाण, थूलपरिग्गहे