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________________ पोपापणी-टीका स् १५ अम्नडपरियाजय शिष्याणा मस्तारयग्रहणम् ६५५ णियाओ य, करोडियाओ य, भिसियाओ य, उण्णालए य, अंकुस य, केसरियाओ य, पवित्तए य, गणेत्तियाओ य, छत्तए य, वाहणाओ य, पाउयाओ य, धाउरत्ताओ य एगते एडित्ता, गग महाणड ओगाहित्ता वालुयासथारए सथरिता, सलेहणा 1 1 य' करोटिकाथ मृण्मयभाजन विशेषान्, 'भिसियाओं य' वृपिकाच= उपवेशनपट्टिका, " 'छष्णाए य' पण्णारिकानि च = निकाष्ठिका, 'अकुसए य' अङ्कुशकाश्च=आकपणिका - वृक्षपाद्याकर्षण साधनविशेषान् देवार्चने पत्रपुष्पफलानामग्रहार्थमयुगका उपयुज्यते, 'केसरियाओ य ' कारिकाध = प्रमार्जनायापि वखण्डानि, 'परित्तए य पवित्रकाणि ताम्रमयमुद्रिका, 'गणेत्तियाओ य ' हस्तधार्या रुद्राक्षमाला, 'गणेत्तिया ' इति हतार्यस्वाक्षमाला देशीयगव्द, 'उत्तए य' आाणि च ' वाहणाओ य ' उपानहथ, ' पाउयाओ य' पादुकाश्च = काष्ठपादुका, वाउरतानी य' धातुरक्ताश्च= गैरिकोपरञ्जिता, शाटिका =म्न्यासिपरिधानीयवस्त्राणि, एतानि सनाणि ' एगते एडित्ता ' एका व्यक्त्वा, 'गग महागड ओगाहित्ता' गङ्गामहानदामन गाह्य = गद्गाया महानद्यामननार्य-‘वालुयासथारए सथरित्ता' वालुकामस्तारकान् सस्तार्य, 'सलेहणाचसियाण' म्लेखना 4 मिश्री के बने हुए पात्रविशेषों को, वृषिकाओं बैठने के पाटियों को, तिपाइयों को, देवों का पूजा के लिये पत्र-पुष्पादिकों के गिराने के वास्ते सदा पास में रहनेवाली छोटी सी अकुशिका को, केशरिका को प्रमार्जन करने के काम म आनेवाले वस्त्र के सटों को, तामे की मुरियों को, सुमरिनियों को, उनों को, जूतों को, काष्ठ की पादुकाओं को एन गरिकधातु से रक्त पहिरने की धोतियों को एकान्त म होटकर महानदी गंगा को पारकर ( यासारए सरिता ) उसक तट पर बालुका का मधारा निठानें और उस पर માળાઓને, કાર્ટિકાએ-માટીના બનેલા પાત્ર વિશેષાને, તૃષિકાએ બેસવાના પાટલાઓને, ત્રિપાઈઓને ઘેાડીને), દેવાને ધૃજા નિમિત્ત પત્ર, પુષ્પ માર્દિ રાખવા માટે સદા પાને રહેવાવાળી નાની સરખી અ કુાિને, કેન્ડિને– પ્રમાર્જન કમ્પાના કામમા આવવાવાળા વજ્રના ટકાઓને, તાખાની भु हरिमाने, सुभरिनियोने, छत्रोने, भेडाने, साउडानी पाहुअमोने, તેમજ ગેરૂ ૨ ગેલા પહેરવાના ધેાતિયાઓને એક ઠેકાણે રાખી દઈ ને भहानही गुणाने उतरीने ( वालुयासथारए सथरिता ) तेना तट पर रेतीना
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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