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________________ __पोयूषवर्षिणी-टीका स १५ साख्यादय परिग्राजकमेवा मूलम्-से जे इमे जाव सन्निवेसेसु परिव्वायगा भवति, त जहा-सखा जोगी काविला भिउव्वा हंसा परमहंसा टीका--' से जे इमे' इत्यादि । ' से जे इमे' अथ य इमे इदृशा 'जाव सन्निवेसेम्' यावत् सनिवेशेषु, 'परिलायगा भवति' परिवाजका सन्यासिनो भवन्ति, 'त जहा' तद्यथा-'सखा जोगी काविला भिउव्वा हसा परमहसा बहुउदगा कुडिब्बया कण्हपरिचायगा' सारया योगिन कापिला भार्गवा हसा परमहसा बहदका कुटीव्रता कृष्णपरिवानका , तत्र सारया सारयमतानुयायिन , योगिन -योगश्चित्तवृत्तिनिरोध सोऽस्येपा ते योगिन , 'कापिल शास्त्र सारय द्विविधम्-सेश्वर निरीश्वर च। तत्र सेश्वर साख्यं भगवदवतार कपिल प्रणीतवान् , निरीश्वर सारय तु आन्यवतार कपिल इति साख्यशास्त्रानुयायिन' इति वाचस्पत्याभिधानकोश । निरीश्वरसारयमतानुयायिन इति भाव । 'भिउन्ना' ‘से जे इमे जाव' इत्यादि । (से जे इमे) जो ये (जाव सन्निवेसेस) ग्राम आकर आदिसे लेकर सन्निवेश तक के स्थानों म (परिचायगा) 'परिव्राजक रहते है, जैसे (सखा जोगी काविला भिउच्चा इसा परमहसा) साख्य-साख्यमतानुयायी साधु, योगी-चित्तवृत्तिनिरोधरूप योग को पालन करने वाले साधु, कापिल–निरीश्वर साख्यमतानुयायी साधु, (१) साख्य दो प्रकार के हैं-१ सेश्वरसारय, २ निरीश्वरसाल्य। सेश्वरसाल्यइश्वर को मानता है । निरीश्वर साख्य इश्वर को नहीं मानता है । वाचस्पत्याभिधानकोप में ऐसा लिया है कि भगवदवतारस्वरूप कपिलने इश्वरवादी साख्य को, एव आन्यवतारविशिष्ट उसी कपिलने निरीश्वरवादी साख्य को रचा है। " से जे इमे जाव" त्यादि (से जे इमे) रेया (जाव सन्निवेसेसु) आम आ४२ माहिथा सन सन्निवेश सुधाना स्थानमा (परिन्वायगा) पश्चिा४४ २२ छ, रेवा (सखा जोगी काविला भिउव्वा हसा परमहसा) साम्य-साध्यभतना मनुयायी साधु, યોગી-ચિત્તવૃત્તિનિરોધરૂપ યોગનુ પાલન કરવાવાળા સાધુ, કપિલ-નિરી ५२ 'साम्यमत अनुयायी साधु, मान-मशु बिना RAN, (हसा) स (૧) સાખ્ય બે પ્રકારના છે ૧ સેશ્વરસાખ્ય ૨ નિરીશ્વરસાખ્ય સેશ્વરસાખ્ય ઈશ્વરને માને છે નિરીશ્વરસાખ્ય ઈશ્વરને માનતા નથી વાચસ્પત્ય અભિધાન કેપમા એમ લખ્યું છે કે ભગવાનના અવતારસ્વરૂપ કપિલે ઈશ્વરવાદી નાખ્યને તેમજ અગ્નિ-અવતાર-વિશિષ્ટ તેજ કપિલે નિરીશ્વરવાદી સાખ્ય રમ્યુ છે
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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