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________________ पीयूषवर्षिणी-टीका सं १४ प्रनित श्रमणोपपातयिषय गौतमप्रश्न ५३७ भवंति, तं जहा-कदाप्पिया कुकडया मोहरिया गीयरइप्पिया नवणसीला, ते ण एएणं विहारेण विहरमाणा वहुइ वासाड सामण्णपरियाय पाउणति, पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणासेम पचडया समणा भवंति' याव सन्निवेशेषु प्रत्रजिता श्रमणा भवन्ति, 'त जहा' तद्यथा--'कदप्पिया' कान्दर्पिका -हास्यकारका भाण्डादय , 'कुक्कुदया' कौकुचिका - कुकुचेन-कुत्सितचेष्टया चरन्तीति कौकुचिका ये च भ्रनयनवदनकरचरणाऽऽदिभि र्भाण्डा इव तथा चेष्टन्ते यथा स्वयमहसन्त एव परान हासयन्ति ते। 'मोहरिया' मौखरिका =वाचाला -नानाविधाऽसम्बद्धभाषिण इयर्थ । 'गीय-रइ-प्पिया' गीतरति-प्रिया -गीतेन या रति =कोडा सा प्रिया येपा ते तथा, 'नचणसीला' नर्तनशीला 'ते ण एएण विहारेण विहरमाणा' ते खट एतेन विहारण विहरन्त =उक्तमाचरणमाचर त , 'वहूह वासाइ सामण्णपरियाय पाउणति' वहनि वर्षाणि श्रामण्यपर्याय चारित्रपर्याय पालयति, 'पाउणित्ता' पालयिवा 'तस्स ठाणस्स' तस्य स्थानस्यसमणा) प्रवजित श्रमण होते हैं, (त जहा) जैसे-(कदप्पिया कुक्कुइया मोहरिया गीयरइप्पिया) कादर्पिक-हास्यकारक भाड आदि, कौकुचिक-भू, नयन, वदन, कर एव चरण आदिको से कुसित चेष्टाएँ करके भाडों की तरह स्वय न हँसकर दूसरों को हँसाने वाले, गीतपूर्वक क्रीडा को अधिक पसद करने वाले, (नच्चणसीला) नृत्य करने के स्वभाव वाले, ये सब (एएण विहारेण विहरमाणा वह वासाइ सामण्णपरियाय पाउणति) अपने २ पद के अनुसार उक्त आचरण को आचरण करते हुए बहुत वर्षातक श्रमणपर्याय को पालते हैं, (पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय-अपडिकता कालमासे काल समणा) प्रनित श्रम थाय छ, (त जहा) २पा (कप्पिया कुक्कुइया मोहरिया गीय-रइ-प्पिया) ािस्या२४ (पाया) माहि, डीयि-श्र, નયન, વાદન, કર તેમજ પગ આદિ વડે કુત્સિત ચેષ્ટાઓ કરી ભવૈયાની પેઠે સ્વય પોતે) ન હસતા બીજાને હસાવવાવાળા, મૌખરિક–અનેક પ્રકારના અસम प्रा५ ४२११, गीतयुत पीडाने पधारे ५४४ उपाय, (नच्चणसीला) नृत्य ४२पाना स्वभावाणा, मा गधा (एएण विहारेण विहरमाणा बहूइ वासाइ सामण्णपरियाय पाउणति) पात याताना ५६ प्रमाणे त माय२ ने आयरता मायरता धए। १२से सुधी श्रम-पर्यायने पाणे छ (पाठ णिचा तस्स ठाणस्स अणालोइय-अपडिक्कता कालमासे काल किच्चा उस्कोसेण
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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