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औपणातिक
५१४ द्धगाचारगवद्धगाहत्थच्छिण्णगा पायच्छिण्णगा कण्णच्छिण्णगा नकच्छिण्णगा ओच्छिण्णगा जिन्भच्छिण्णगा सीसच्छिण्णगा मुहच्छिण्णगामज्झच्छिण्णगावडकच्छच्छिण्णगाहियउप्पाडियगा कानि काष्ठमयानि लोहमयानि वा हस्तयो पादयो धनविशेषा , तेषु बद्धका =बद्धा एव बद्धका , स्वार्थे क , 'णिअल्पद्धगा' निगडयदका -निगटा लौहमया पादयोध विशेपा 'वेडी' इति प्रसिद्धा तेषु बद्धका -निगडनद्धा इत्यर्थ, ‘हडिवद्धगा' हडिबद्ध का -हडि =ग्वोटक , तत्र बद्धका , 'चारगरद्धगा' चारकनद्धका --चारका कारागाराणि, तत्र बद्धका , 'हत्थन्छिण्णगा' हस्तच्छिन्नका -हस्तौ छिन्नौ येषा ते तथा, 'पायच्छि ण्णगा' पादच्छिन्नका 'रणन्छिण्णगा' कर्णच्छिन्नका , 'नान्छिण्णगा' नासिका छिनका , 'ओढच्छिण्णगा' ओष्ठच्छिन्नका , जिन्भन्छिण्णगा' जिह्वाछिन्नका , सीस च्छिण्णगा' शार्पच्छिनका , 'मुहच्छिण्णगा' मुखच्छि नका , 'मझन्छिण्णगा' मन्यच्छि न्नका , मध्य =उदरदेश , 'वइकन्छच्छिण्णगा' वैकक्षच्छिन्नका -उत्तरासगाऽऽकारेण वि
एक स्थान पर रोककर रख दिये जाते है, (णिअलवद्धगा) बेडी से जकड दिये जाते है, ( हडिबद्धगा) काष्ठ क खोडे मे पेर डलनाकर रोक दिये जाते है, (चारगवद्धगा) जेलखाने मे रद कर दिये जाते है, (हत्थच्छिण्णगा) तथा उनके दोनों हाथ काट दिये जाते है, (पायन्छिण्णगा) दोनों पेर छिन्नभिन्न कर दिये जाते है, (कण्णन्छिण्णगा) कान छेद दिये जाते हैं, (नकन्छिण्णगा) नाफ छेद दी जाती है, (ओच्छिण्णगा) ओष्ठ छेद दिये जाते है, (जिभन्छिण्णगा) जिह्वा छेद दा जाती है, (सीसच्छिण्णगा) शिर छेद दिया जाता है, (मुहन्छिण्णगा) मुख छेद दिया जाता है, (मज्झन्छिण्णगा) थाय छ भने तसा ४ अपराधश (अडुबद्धगा) सोढाना तभ०४ ४ाना मधनाथी हाथ-पगने माधान में स्थान ५२ २४ी २माय छ, (णिअल्पद्धगा) मेथी 30 देवाय छ, (हडिनद्धगा) साना मोड (५४)मा ५ नमा पाशी २माय छ (चारगरद्धगा) समानामा परी हवामा माय छ, इत्याच्छिण्णगा) तथा तमना भन्ने हाथ पी नामामा मा छ, (पायच्छि
गा) मन्ने ५॥ छिन्न भिन्न ४री नामपामा भाव, (कण्णच्छिण्णगा) ४ान छीनामामा मावछ (नक्कन्छिण्णगा) ना४ Dही नसाय छे, (ओढन्छिण्णगा)
ही नसाय छ (जिन्भच्छिण्णगा) छेदी नाय छ (सीसच्छिण्णगा) शिरछी नभाय छ (मुच्छिण्णगा) भुत छी नभाय छ (मझच्छिण्णगा)