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________________ ___४१० __ औपपातिको ईसी उच्छंग-विसाल-धवल-टताण कचण-कोसी-पवि-दताणं कचण-मणि-रयण-भूसियाण वर-पुरिसा-रोहग-सपउत्ताण अहसय गयाण पुरओ अहाणुपुबीए सपट्टिय । तयाणतरं च णं सच्छ'ईसीतुगाण' इत्तुगानाम्=मनागुनतानाम् , 'ईसी-उच्छंग-बिसार-धाल-दताण' इप दुत्सह-विशाल-धवल-दन्तानाम्-इपरसङ्गे म यभागे विशाला अन्पायस्कचात्, तथा धवला दता येपा ते धवल्दन्ता , तत पदद्वयस्य कर्मधारय , तेपाम् , 'कचण-कोसी पविट्ठ दताण' काञ्चन-कोश अपिष्ट-दन्तानाम् , कचण-मणि-रयण-भृसियाण' काञ्चनमांग रत्न-भूपितानाम् , 'वर-पुरिसा-रोहग-सपउत्ताण' वर-पुरुषा ऽऽरोहक-सम्प्रयुक्तानाम् वर पुरुषा =श्रेष्ठपुरुपाश्चामी-आरोहका ते सम्प्रयुक्तानाम् युक्तानाम् , एतादृशा-गयाण' गजानाम् हस्तिनाम् , 'अट्ठसय' अष्टगतम् अष्टाधिक शतम् , 'पुरओ अहाणुपुबीए सपट्ठिय' पुरतो यथानुपूर्त्या सम्प्रस्थितम् । अथ रथाना वर्णनमाह-'तयाणतर' इत्यादि । 'तयाणतर ईसी-उच्छग विसाल धवल दताण कचग-कोसी पविठ्ठ-दताण कचण मणि रयण भूसियाण वर-पुरिसा रोहग सपउत्ताणं अद्रसय गयाण पुरओ अहाणुपुच्चीए सपट्ठिय) इनके बाद आगे आगे १०८ हाथी चले,ये हाथी अल्पदतवाले थे,पूरे दात इनके वाहिर नहीं निकल पाये थे । किंचित् मदशाली थे । थोटे ही ऊँचे थे, अधिक नहा, इनका म यभाग भी अधिक विशाल नहीं था ' दात इनके अयत धरल थे । इनके दातों मे सोन की सोलियाँ पहनायी गयी थीं। ये सुवर्ण एव मगिरत्नों से विभूषित हो रहे थे । इनके ऊपर श्रेष्ठ पुरुष बैठे हुए थे। (तयाणतर च ण सच्छत्ताण सज्झयाण सघटाण सपडागाण सतोरणवराण 'सणदिघोसाण स-खिखिणी-जाल-परिक्खित्ताण हेमवय-चित्त 'मत्ताण ईसीतुगाण ईसी-उच्छग विसाल धवल ढताण कचण कोसी पविट्ठ दताण कचण मणि-रयण भूर्सियाण वर पुरिसा रोहग सपउत्ताण अनुसय गयाण पुरओ अहाणुपुव्वीए सपट्रिय) त्या२५०ी मागण गण '१०८ डाथी यारया मा डाथी म५ हात વાળા હતા–તેના દાત પૂરા બહાર નીકળેલા નહોતા (ચિત્ મદશાળી હતા છેડા ઉચા હતા બહુ નહિ તેમને પીઠનો ભાગ વધારે પહોળો નહેતે તેમના હાલ હ ધોળા હતા તેમના દાતમાં નાની બાળા પહેરાવી હતી તેઓ સવ તેમજ મણિરત્નો વડે વિભૂષિત બન્યા હતા તેમના ઉપર શ્રેષ્ઠ પુરુષ બેઠા उता (तयाणतर च ण सन्छत्ताण सज्झयाण सघटाण सपडागाण सतोरणवराण संदिघोसाण स-सिंखिणी-जाल-परिमिखत्ताण हेमवय-चित्त-तिणिस-कणग
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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