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________________ - पोयूपयपिणो टोका र ५४ यानशानियस्य यरध्यापनाऽऽदेशमपादनम् ३८१ णाई अप्फालेड, अफालित्ता दूसे पवीणेइ, पवीणित्ता वाहणाई समलकरेड, समलकरिता वाहणाड वरभंडगमडियाइ करेड,करिता वाहणाड जाणाड जोएड, जोडत्ता पओयलहिं पओयधरए य नानि 'णीगेड' नपति-हिफरोति, नावा चाहनानि 'अफालेड' आस्फाल्यति हस्तेन आस्फाल्यान, आस्फान्य 'दुसे पपीणे' दूप्यागि प्रपिनयति आच्छानरत्राण्यपनयति, प्रविनाय 'पाहणार समरकरेट' वाहनानि समलगेति, ममल्ड्स्य वाहनानि 'वरभटगमडियार करेड' यग्भाण्डकमण्टितानि स्गेति, कृत्या 'वाहणाड जाणार जोएट' वाहनानि यानपु योजयति, योजयित्वा यानयालिक 'पओयलढेि' प्रतोत् यष्टिं वाहनचाल्नायों यटिं 'पराणी' दति भाषाप्रसिद्धा 'पोय परए य' प्रतोन्धरानभकटवा कान् मम=युगपत्-स्मिन् काले 'आडड' आहरति आकस्मिन स्थान सवाक्खित्ता) देखकर (वाहणाट सपमनइ) उसन उन्हें साफ किया । (सपमनिता) साफमुफ कर (वाहणार णीगेड) बाह्नों को उमन वहा से बाहिर निकाग, (णीणित्ता) बाहिर निकारकर (वाइगाइ जप्फालेट) उमने फिर उनक पीठ पर हाथ फिराया, (अप्फालित्ता) हाथ फिगर (दसे पीणेइ) फिर उसने उनका ग्वोलिया को अला किया। (पत्रीणित्ता) जन गोलिया उनका अग हो चुका तत्र फिर उमने (वाहणाट समलकरेट) उन वाहनाको गगारित किया। (समलफरित्ता) जब ये आठ तरह से सजा दिये गये तन (वाहगाद परभडगमडियाद करेट) उसन उनको उपकरणों से मटित किया, (करिता) रा के नाट (वाहणाट जाणाद जोएइ) फिर उसने उन वाहनों चैला को रथा में जोते, (जोटत्ता) जोतन के नाट (पओयद्धि पओयपरए य सम आडहट) उमने णाइ सपम जड) तेरी तमन मा यो (सपमज्जित्ता) मा ने ( वाहगाइ णीगेड ) वाइनाने तो त्याथी १२ दया (णीणित्ता) 3. डाढीने (पाहणाइ जाफालेड) तशे रान तमनी पी. ९५२ डाय ३२च्या (अफालित्ता) डाय थान (दसे पनीणेड) ५०ी तो तेभनी मानाने gal , (पीणित्ता) न्यारे मामा तेमनी ga 15 त्या२ पछी तण (पाहणाइ समर फरेड) ते पाहनाने शयाय, (समलफरित्ता ) न्यारे ते यारा गते तैया० (मन) या त्यारे (वाहणाइ परभंटगमडियाइ करेड) तेणे तेभने 645२शाची मडित व्या (करित्ता) उर्स पछी (वाहणाइ जाणाइ जाएइ) तेले ते पाईनाना मजहाने श्यामा शव्या, (जाइत्ता) नेव्या पछी (पओयरद्धि
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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