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________________ पीयूषपिणी टीका स १६ भगवन्महारीरस्थामिघर्णनम चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे सखपाणिलेहे चक्कपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चद-सूर-संख-चक-दिसासोत्थिय-पाणिलेहे कणग-सिलायलुज्जल - पसत्थ-समतल-उवचिय-विच्छिण्णपिहलवच्छे सिरिवच्छकियवच्छे अकरंडुय-कणग-रुयय-निम्मल'ससपाणिलेहे' गड्यपाणिग्य अड्सग्ग्यायुक्तहस्त इयर्य, 'चम्पाणिलेहे' चक्रपाणिग्य -चक्रग्ग्गायुक्तहस्त , 'दिसासोत्थियपाणिलेहे ' तिकस्वस्तिकपागिरख – दक्षिगाऽऽवर्तस्वस्तिकाऽऽकार-या-युक्त-हस्तवान् इति भाव । 'चा-मर-सख-चक्कदिसासोत्थिय पाणिलेहे' चन्द्रसूरगड्यचक्रदिक्वस्तिकपागिरेस चद्रमूर्यादिहस्तरेखा हस्ते विद्यमाना प्रशस्तफलप्रदा भवन्ति, ताभिश्चन्द्राग्मिाभिश्चिह्नितहस्तवानियर्थ , 'कणग-सिलायलु-जल-पसत्थ-समतल-उवचिय-विच्छिण्ण-पिडुलबन्छे' कनक गिलातलो-ज्वल-प्रगस्त-समतलो-पचित-विस्तीर्ण-पृथुल-वक्षस्क - कनकशिलातलगत्-सौवर्णपटिकावत् , उज्वल देदीप्यमान प्रशस्त सुलक्ष गोपेत समतलञ्च-उन्नताऽऽनतरहितम् , उपचित-पुष्ट, पिस्तीर्णपृथुलम् , अतिविशाल, वक्ष -उरस्थल यस्य स तथा, (मरपाणिलेहे) सर्यरखा था, (सरखपाणिलेहे) शखरेसा थी, (चक्रपाणिलेहे) चक्ररेखा थी, (दिसासोत्थियपाणिलेहे) दक्षिणावर्त स्वस्तिक रेखा थी, (चदमूर-सम्व-चक-दिसासोत्थिय-पाणिलेहे) इस प्रकार चद्रमा, सूर्य, शख, चक्र एव दक्षिणावर्त स्वस्तिक की रेखायों से भगवान के हाथ सुशोभित थे। (कणगसिलायलु-ज्जल-पसत्य-समतल-उवचिय-विच्छिण्ण-पिहुल-वच्छे) कनक शिला के समान-सुवर्ण के पाट के समान देदीप्यमान, शुभलक्षणों से युक्त, सम, पुष्ट, विस्तीर्ण एव अतिविशाल वक्षस्थल था। वह वक्षस्थल (सिरिवच्छकियवच्छे) ( सृरपाणिलेहे ) सर्या ती [ससपाणिलेहे ] १५२॥ ती (चक्क पाणिलेहे ] या खता, (दिसासोत्थियपाणिलेहे) सिक्ति पति२ उती (चद-सूर-सस-चक्क-दिसासोत्थिय-पाणिलेहे) 2. प्रारे य इमा, सूर्य, શખ, ચક્ર તેમજ દક્ષિણાવર્ત સ્વસ્તિકની રેખાઓથી ભગવાનના હાથ सुशामित उता (कणग-सिलायलु-ज्जल-पसत्य-समतल-उपचिय-निच्छिण्ण पिहुल-वच्छे) उन शिक्षा समान-मोनाना पाटाना ने हीप्यमान, શુભલક્ષણોવાળું, સરખુ, પુષ્ટ, વિશાળ તેમજ બહુ પહેલુ વક્ષસ્થળ [છાતી] डतु ते पक्ष२५७ (सिरिवच्छक्यिन्छे ) श्रीवत्सना शिवाणु उतु मन
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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