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पीयूषवपिणी-टोका स १६ भगवन्मदायोरस्वामियणनम्. लिया-धवल-दतसेढी अखडदते अप्फुडियदते अविरलदते सुणि
द्वदते सुजायढते एगदतसेढीवित्र अणेगढते हुयवह-णिवंतरजो मृणारिका धवळ-दन्तगि पाण्टुर-श्वेत यत् शशिकल-चन्द्ररमण्ड , तद्वद् विमला, तथा निर्मल -अतिस्वच्छ , शह प्रसिद्ध , गोजीर-गोटुग्धम् , फेन -जलोपरिवर्तमानो नवनीतसम , सुन्द-ननामा श्वेता पुमम्-- करज -जलकग , मृगालिका निसिना-तद्वद् ववलामहाश्वता, दन्तश्रेणि-रन्तपदिक्तर्यस्य स तथा, शुभ्रातिशुभ्रढन्तपदिक्तमानियर्थ । 'अवडढते' अमहदन्त --दन्तपती दतक-याभावात् , 'अप्फुडियदते' अस्फुटितदन्त दन्तपड्क्तौ दन्ताना- देशतोऽपि भद्गाभावत, 'अविरलदते ' अपिरल्दन्त -अतरावकागरहित त 'मुणिदते' मुस्निग्धद त चिकणदन्तवान् , 'मुजायदते' सुजातदन्त -सुन्दरदन्तनान्-टत्यर्थ । 'एगदतसेढीवित्र अणेगदते ' एकटन्तोगीवाऽनकदन्त , 'हुतबह-गिद्धत-पोय-तत्त-तवणिज्न-रत्ततल-तालुनीहे ' हुतवह-निष्मात-चौत-तमतपनाय--रक्ततर-तालजिह्व -हुतबहन-चह्निना पूर्व निष्मात-निरोपेग न्योजित पवाजलादिना धौतम् , अत एव-तप्त-वहिताप प्राप्त
धवल-दतसेढी) वत चपडके के समान विमल, तथा निर्मल गख, गोक्षीर, _फेन, श्वेतकुसुम, जठकग, एर मृणाल के समान धवल दन्तपक्तियाँ थीं। .
(अखडटने) भगवान क टॉत अग्मण्ड थे, (अप्फडियदते) अत्रुटित थे, (अविरलदते) अफाश रहित थ। (मुणिद्धदते) चिक्कग थे, (मुजायदते) सुन्दर थे, (एगढतसेढीपिव अगदते) एक टॉत की श्रेणी के समान सभी दाँत माटम होन ये। (हुयवह-णिद्वत-धोय-तत्ततवणिज्न-रत्ततल-तालुजीहे) पहले अग्नि म तपाये गये पश्चात् जलादिक द्वारा धोये गये पुन अग्नि मे तपाये
रय-मुगालिया-धवल दत-सेढी) वेतय उना २वी विमा, तथा निर्मण શખ, ગાયનું દૂધ, ફણ, તપુષ્પ, જલણ (પાણીના બુદ) તેમજ भृयास ना २वी म हातनी हार हुती (असडन्ते) सापानना हात ममता ( अप्फुडियदते ) तूटया पाना हात ता (अचिरलदते). २०१४ (पास) सहित उता, (सुणिद्धदते) थिए। उता, (सुजायदते) सु४२ उता, (एगदतसेढी विर अणेगदते) मे हातनी श्रेष् (२) नाम मा हात माता ता (हुतरह-णिद्वत-धोय-तत्त तरणिज्ज--रत्ततल तालुजीहे) पईसा मछिनमा तपावसा पा७४थी. द्विारा