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पीयपपिणी टीका स १० भगयन्महावीरस्यामिवर्णनम् मिउ-विसय-पसत्थ-सुहम-लक्वण-सुगंधि-सुदर-भुयमोयग-भिंग
नेल-कज्जल-पहह भमरगण-णिद्व-निकुरुव-निचिय-कुंचिय-पयाबद्धानि-अपस्थितानि प्रफटतया विद्यमानानि लगानि शिर मम्बधिशुभलाभणानि यत्र तत् मुवल्लगम , उननम-मध्यभाग उच्च यत् कृट तम्य य आकारम्तन्निभम्उन्नतकृटामाग्मदृगमिति भार । पिण्टिन-निमागर्म गा -योजित शिगे यस्य म धन निचित-मुपद्ध-रक्षगोनत-कुटाकारनिभ-पिण्डित-गिरस्क । 'सामलिगोंड घणनिचिय न्छोडिय मिउ विसय पसत्य-मुहम-लक्खण-सुगपि मुढर मुयमोयग-भिंग-नेल-कनल-पहलु-भमरगण णिद्र निफुरुष निचिय-कुचिय पयाहिणावत्त मुद्ध-सिरए' गान्मलिगोण्ड घननिचित न्छोटिन मृदु विग प्रगस्त-मूक्ष्म-ग-मुगन्धि-सुन्दर-भुजमोचक-भृङ्ग-नैलकनल प्रहष्ट-भ्रमग्गा - म्निाय निकुरम्ध - निचिन - मुञ्चित - प्रसिगाऽऽवर्त - मूर्द्धशिगेज -गामलि वृक्षविता , तम्य गोण्ड-फट, धननिचितम्-अतिनिविड, छोटित-- स्फोटित-तृलव्याप्त शामलि–फलपण्ट तद्वत मृढव --मृदुला:-इति शान्मलिगोण्डघननिचितच्छोटितमृदय, अपनले शिगेभाग कठिन , उपरिभागे शामलिफलपण्डगत-तूलवन्मृदुला केशा दति भाव । तथा-गिता -निर्मला, प्रशस्ता-उत्तमा सूक्ष्मा - तनुतग , लक्षगा -मुलक्षगन्त , सुगत्यय -गोगनगन्धयुक्ता , सुन्दरा -मनोहरा , तथा भुजमोनकरत-नीलगनविशेष दव, भृङ्गवत-भ्रमरवत् , एस नेलपत्-नालाविकारवद्निर्मागनाम कर्म डाग सुरचित ऐसे मस्तकपाले, [सामलियोंड-घणनिचिय-च्छो डिय-मिउ-विसय-पसत्य-सुहुम-लक्षण-सुगधि-मुदर-भुयमोयग- भिग-नेलकजल-पह-भमरगण-णिद्ध-निकुरुष-निचिय – कुचिय - पयाहिणावत्त-मुद्धसिरए] सेमरवृक्ष के फान्तर्गत तृल के समान मृदुल निगढ-निर्मल, प्रशस्त-उत्तम, सक्ष्म-तनुतर ( पतले ), लक्षग-सुलपगयुक्त, मुगन्ध--गोभनगध पन्न, सुन्दर-मनोहर तथा-नाल ग्नशिप का तरह रछेदार, नालगुलिका की तरह नाले, कज्जल का उभयी सुरथित सेवा भन्dsm (सामलियोड-घणनिचिय - च्छोडिय-मिउपिसय-पसत्थ-सुहुम-लसण-सुगधि सुनर-भुयमोयग-भिग-नेल-कज्जल-पहट्ट भमर गण-निद्ध-निकुरुषनिचिय-कुचिय-पयाहिणावत्त-मुद्व - सिरए ) सेभ२ वृक्षना કુલની અતર્ગત રૂના જેવા કમળ, વિશદ-નિર્મળ, પ્રશસ્ત–ઉત્તમ, સૂક્ષ્મ હળવ પાતળા, લક્ષણ-સુલક્ષણયત, સુગ ધ-શભનગ ધન પન્ન, સુદર–મનહર તથા નીલ રત્નવિશેષની પેઠે લ છેદાર, નીલગુલિકાની જેમ લીલા, કાજળની