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________________ पीयूषषपिणी-टीका सू १६ भगयन्महाधीरस्थामिवर्णनम् प्पल-गंध-सरिस-निस्सास-सुरभि-वयणे छवी निरायंक-उत्तम-पसपोस-पिटुतरोरु -परिणए' शकुनि-पोस-पृष्टान्तरोरुपरिणत -शकुने पक्षिण पोसवत् पुरीपसम्पर्करहितो निस्पलेप पोस -गुदागयो यस्य स शकुनिपोस , पृष्ठश्च अन्तरे च-- पृष्ठोदरयोरन्तराल्वर्तिनी अट्ने-पार्थाविति यावत् , ऊरू च ज एतेपा प्राण्यगन्नात्समाहारद्वन्द्वे-पृष्टा-ऽन्तरोर पृष्ठपाजधम् तत् परिणत-विशिष्टपरिणामवत्-सुजात यस्य स तथा, शकुनिपोसश्चासौ पृष्टान्तगेरुपरिणतश्च स शकुनिपोसपृष्ठाऽन्तरोरुपरिणत –निर्लेपमलद्वारसुन्दरपृष्ठपार्वजधावान्-इत्यर्थ । 'पउमु-प्पल-गधसरिस-निस्सास-सुरभि-वयणे' पद्मोपल-गध-सदृग नि श्वास सुरभि-पदन -पवा= कमलम् , उत्पल नीलकमल तयोर्गन्ध , अथवा पम-पद्मकाभिधान गन्धद्रव्यम् , उपल च उत्पलकुष्ट तयोर्गध , तेन सदृश -समो यो नि श्वास - श्वासोच्छ्वासपवन तेन सुरभि-सौरभमय बदन-मुख यस्य स तथा, परिमलमयपदार्थसौरभसम्भारसम्भृतश्वासोच्छ्वाससुरभितमुख इति भाव । छवी' छरि-छविमान्-दीपिदेदीप्यमानगरीर इत्यर्थ । 'निरायक-उत्तम-पसत्य-अइसेय-निरवम-पले' निरातकोत्तमप्रशस्ताऽतिश्वेतनिरुपमपल , तत्र-आतको रोगो निर्गती यस्मात् तन्निरातच नीरोगम् , उत्तमम्-उत्कृष्टतमम् अत एव प्रशस्तम् , अतिश्वेतम्( सउणिपोस-पिट्टतरोरु-परिणए ) शकुनि-पक्षी के-गुदाशय की तरह पुरीष के उत्सर्ग के ससर्ग से रहित गुदाशयवाले, एव सुन्दर पृष्ठ, पार्श्व और जघावाले (पउमु-प्पल-निस्सास-सुरभिवयणे) पद्म-कमल एव उत्पल-नीलकमल अथवा पद्म-पमकनामक गध द्रव्य और उत्पल-उत्पलकुष्ट-सुगन्धद्रव्य विशेष, इनकी सुगध के समान उच्क्षसवायु से सुरभितमुखवाले [वी] कान्तियुक्त शरीरवाले, [निरायक-उत्तम-पसत्य-अइसेय-निरुवम-पले ] रोगमुक्त, सर्वोत्तमगुणयुक्त, २॥ माहारने पयावी है सेवा ०१४२॥शिवाय छ (सउणि-पोस-पितरोरुपरिणए) शनि-पक्षाना शयनी भाना साथी २डित ગુદાયવાળા તેમજ સુદર પૃષ્ઠ (પીઠ) પાઉં (પડખા) અને જ ઘા पा (पउमु-पल-निस्सास-सुरभि-चयणे) पहभ-४भस तेम ५स-नसभर, અથવા પદ્મ-પદ્મઠ નામક ગ ધ દ્રવ્ય અને ઉત્પલ-ઉત્પલ કુદ-સુગવ દ્રવ્ય વિશેષ, એમની સુગ ધના જેવા ઉદ્ઘાસ વાયુથી સુરભિત–સુગધિત મુખવાળા (બી) तयुत शीRam (निरायक-उत्तम-पसत्थ-अइसेय-निरुवम-पले) शगमुत,
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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