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________________ ३१८ उत्तराध्ययन सूत्रे टीका' पुट्टो य' इत्यादि । च = अपर च सम एन = उपकार्यपकारिषु तुल्यभावधारकः, महामुनिः-उम्रतपश्चरणशीलः दशमशकैः, इदमुपलक्षणम्, तेन मत्कुणयुकादिभिरपि स्पृष्टः- पीडितः सन्, सग्रामशिरसि = रणमस्तके, शूरः पराक्रमी, नागोबा हस्ती पर शत्रुरागद्वेपलक्षण भागशनुम् अभिहन्यात्-पराजयेत् । 'समरेन' इत्यत्रार्पलाद्रेकः । अय भावः यथा - =करी शराघातर्व्यथितोऽपि रणे शत्रु जयति, तद्वत् साधुरपि दशमशकादिभिः पीड्यमानोऽपि कपाय शत्रु जयेदिति ॥ १० ॥ " ग्रीष्म काल के बाद वर्षा काल आता है, उसमें दशमशक आदि का परीपह उत्पन्न होता है । साधु का कर्तव्य है कि वह इस दशमशकरूप पाचवे परीपह को सहन करे, इस बात को सूत्रकार आगे की गाथा द्वारा बतलाते हैं-' पुट्ठो य ' इत्यादि । अन्वयार्थ - (समरे व- समएच) उपकारी और अपकारी मे तुल्य भाव धारण करने वाला ( महामुणी - महामुनि ) उग्रतपञ्चरणशील महामुनि (दसमसह - दशमशकै ) दशमशकों के द्वारा उपलक्षण से मत्कुणखटमल, यूका-जू आदि द्वारा भी (पुडो-स्पृष्टः) पीडित होने पर (सगाम सीसे - संग्राम शीर्षे ) युद्ध के बीच में (सूरो- शूरः) पराक्रमी (नागो वानाग इव) हस्ती की तरह ( पर अभिहणे - पर अभिहन्यात् ) शत्रु कोरागद्वेषरूप भावशत्रु को परास्त करे । ગરમઋતુ પછી ચેમાસાના સમય આવે છે આમા દશમશક વગેરે પરી પહની ઉત્પત્તિ થાય છે, સાધુનુ એ કર્તવ્ય છે કે દશમશકરૂપી પાંચમા પરીષહ સહન કરે આ વાતને સૂત્રકાર માગળની ગાથાથી બતાવે છે 66 'पुट्ठो य " धत्यादि रमन्वयार्थ - ( समरेव- समएव ) उपठारी भने अपारीमा समभाव धारण ४२वावाजा महामुनी - महामुनि अथ तपस्या १२नार शीसवान भडाभुनि दसमसएहिदशमशकै डास, भ२७२ द्वारा उपलक्षणुथी भाउड, भू, माहि द्वारा पशु पुट्ठो-स्पृष्ट पिडीत डोवा छता “सगामसीसे-स ग्रामशीर्पे " युद्धनी वयभा ( सूरो- शूर ) पराभी ( नागो वा-नागइव ) डाथीनी भाइ४ ( पर अभिहणे- पर अभिहन्यात्) शत्रुने --राग द्वेष રૂપ ભાવશત્રુને પરાસ્ત કરે એને ભાવ આ છે જેમ પરાક્રમી હાથી ખાણાના આઘાતથી વ્યથિત હોવા છતા પણુ રણમા શત્રુઓને હરાવે છે તેવી રીતે સાધુ પણુ ડાસ, મચ્છર આદિ દ્વારા પીડિત હોવા છતા પણુ કષાયરૂપી શત્રુને પરાસ્ત કરે
SR No.009352
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages961
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size28 MB
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