SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 367
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૨૫૮ उत्तराभ्ययनसूत्रे भवद्भिः मलप्यते?' इति । यथोपदिष्टम् उपदिष्टमनतिक्रम्य समुपदिष्ट कार्य, सुकृत -सुष्टु कृत, यथा स्यात्, तथा कार्याणि सर्वाणि गुरुकार्याणि, सदा-सर्वकाल, करोति-संपादयति। गुरुकार्यपालस्य न विधेय प्रसन्नमानेन तदेव कार्य सत्वर करणीयमिति भावः॥४४॥ अध्ययनार्थमुपसहरन्नाहमूलम्-नच्चा नमइ मेहावी, लोएँ कित्ती से जायए । हवंइ किच्चाण सरणं, भूयोण जगई जही ॥४५॥ छाया-ज्ञात्वा नमति मेधावी, लोके कीतिस्तस्य जायते। भवति कृत्याना शरण, भूताना जगती यथा ॥ ४५ ॥ टीका-'नच्चा' इत्यादि-- ___ मेधावी-मर्यादावर्ती शिष्य', ज्ञात्वा अनन्तरोक्त सर्वमध्ययनार्थमवगम्य, नमति-नम्रीभवति विनयवान् भवतीत्ययः, स्वकर्तव्यकरण पति सादरमुघतो भवतीति यावत् । विनयस्य फलमाह-'लोए' इत्यादि । लोके तस्य कीति:रीति के माफिक (किच्चाइ कुब्वइ-कृत्यानि करोति) उन सब कार्यों को सुसपादित करता है। गुरु महाराज के कार्यो मे कभी भी आलस्य नहीं करना चाहिये प्रत्युत प्रसन्नचित्त से जो कुछ भी करने को कहा जाय वह शीघ्र ही कर देना चाहिये ॥४४॥ __ अब अध्ययन के अर्थ का उपसहार करते हुए सूत्रकार कहते हैं'नच्चा' इत्यादि। अन्वयार्थ--(मेहावी-मेधावी) मर्यादावर्ती शिष्य (नच्चा-ज्ञात्वा) अनन्तरोक्त इस समस्त अध्ययन के अर्थ को जानकर (नमइ-नमति) अवश्य विनयी होता है। अर्थात् अपने कर्तव्य को निभाने के लिये सादर उद्यत हो जाता है। (से लोए कित्ती जायए-तस्य लोके कीति. જોરિ તે બધા કામે સારી રીતે કરતે રહે છે ગુરુ મહારાજના કામોમાં કદી પણ આળસ શિષ્ય ન કરવી જોઈએ જે કાઈ કરવાનું કહેવામાં આવે તે प्रसन्न चित्त शीघ्र उरी युनस ॥४४॥ हवे अध्ययनन मथना पस हार ४२ता सूत्रा२ ४ छ-नच्चा इत्यादि मन्वयार्थ-मेहावी-मेधावीभावतीशिष्य नच्चा-ज्ञात्वा मनन्तशत मा सभस्त अध्ययनन मथन तीन नमइ-नमति अवश्य विनयी मन छ अर्थात् पोताना ४तव्यन निमाभाटे साह२ उधत २ छे से लोए कित्ति जायए-तस्य
SR No.009352
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages961
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy