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________________ निरयालिका आदि पाँच उपाङ्ग भगवानकी धर्मकथानुयोग वाणीमें अन्तर्हित हैं। इन पांचों उपाङ्गोंमें (१) निरयावलिका अन्तकृतका (अन्तगडसूत्र) उपाङ्ग है, और (२) कल्पावतंसिका अनुत्तरोपपातिकका, (३) पुष्पिता प्रश्नव्याकरण सूत्रका, (४) पुष्पचूलिका विपाकसूत्रका, एवं वृष्णिदशा दृष्टिवादाङ्गका उपाङ्ग है। इनमें निरयावलिका उपागमें काल आदि दस कुमारोंका वर्णन काल आदि दस अध्ययनोंमें किया गया है । जो संक्षिप्तमें इस प्रकार है महाराज श्रेणिककी अनेक रानिया थी। उनमें नन्दा, चेल्लना, काली, सुकाली, महाकाली, कृष्णा, सुकृष्णा, महाकृष्णा, वीरकृष्णा, रामकृष्णा, पितृसेनकृष्णा, और महासेनकृष्णा, ये उनकी मुख्य रानिया थीं। इनमें नन्दाके पुत्र अभयकुमार थे, चेल्लनाके पुत्र कणिक, वैहल्य और वैहायस थे। काली आदि दसों रानियोंके पुत्र क्रमशः काल, सुकाल, महाकाल, कृष्ण, सुकृष्ण, महाकृष्ण, वीरकृष्ण, रामकृष्ण, पितृसेनकृष्ण और महासेनकृष्ण थे। इन कुमारोंमें अभयकुमार प्रवजित हो गये। चेल्लनाके पुत्र कणिकने काल आदि दस कुमारोंको अपनी ओर मिलाकर महाराज श्रेणिकको कैद कर लिया और उन्हें अनेक प्रकारकी तकलीफें देने लगा। एक दिन कूणिक अपनी माताके चरण वन्दनके लिये आया। माताने उसे देखकर अपना मुंह फिरा लिया। यह देख कणिक हाथ जोड इस प्रकार बोला-हे माता ! मैं अपने पराक्रमसे राज्यका सम्राट बना, यह देखकर भी तुझे आनन्द नहीं होता, तुम्हारे मुखपर हर्षका कोई चिह्न नहीं दिखायी देता, तुम उदासीन हो, क्या यह तुम्हारे लिये उचित है ? भला तुम्ही सोचो, कौन ऐसी मा होगी जो अपने पुत्रकी उन्नति पर प्रसन्न न होगी। यह सुनकर महारानी चेल्लनाने कहा-वेटा! तुम्हारी इस उन्नतिसे मुझे किस प्रकार आनन्द हो ? क्यों कि तुमने अपने पिता महाराज श्रेणिकको कैद कर लिया है, जो तुम्हारे देव गुरुके समान हैं, जिन्होंने तुम्हारे उपर अनेक उपकार किये हैं। उन्हीं के साथ तुम्हारा यह व्यवहार समुचित है ! जरा तुम्ही सोचो! कणिकने कहा-मा! जो श्रेणिक राजा मुझे मार डालना चाहते थे, वे मेरे परम उपकारी हैं, यह कैसे ! स्पष्ट बताओ।
SR No.009351
Book TitleNirayavalikasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages437
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size22 MB
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