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प्रश्नव्याकरणसूत्रे
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बालमरयोरज्जुका, कुदण्ड का नि= काष्ठमयमान्त भागा रज्जुपाशाः नम्राः चर्ममग्यो महारज्जवः लोहनलाथ = प्रसिद्धा' हस्तान्दुकाः हस्तनियन कम्यनविशेषाः 'हथकडी ' इति भापामसिद्धा पा=पहिका मानि=पाइन्नरज्जु विशेषाः निष्फोटनानिन्यविशेषा एन ते 'अयादि य ' अन्येवानुक्तेः ' एमाइएद्दि ' एवमादिकैः = उक्तप्रकारैः 'गोन्मियभोगणेहिं गौल्मिकभाण्डोपकरणैः = कोट्टपालाना चोरपन्यकोपकरणैः, दक्ख समुदीरणेहिं ' दुखसमुदीरणैः = दुःखदायकैः ' सोडणमोडणेहि सकोटन मोटनैः=स कोचनानि हस्तपादादीना मोटनानि गलादीनि तै' 'मपुष्णा' मन्दपुण्याः पापिनोऽदत्तग्राहिणः ' वज्झति ' ध्यन्ते चन्यन माप्नुवन्ति ॥ मृ० १३ ॥ पुनस्ते किं फल प्राप्नुति ? इत्याह-- सपुड ' इत्यादि
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मूलम् —— सपुडकवाडलोहपजर-भूमिघर-निरोहकुवचारगकीलगजूवचक्क - विततचधणखभालण-उद्धचलण वधण विहमणाहि य विहेडियता अहकोडगगाढ उरसिद्ध उद्धपूरियहों ऐसी दोरीकी फासी, वरत्रा- चमड़े से बनाई गई रस्सी, (लोहसकल) लोकी सकिल, (हत्य) हस्तान्दुक - हथन कडी, (घझपट दामरुणिको डोरि ) वर्धपट्ट - चमडेकी पट्टिकाएँ और दामनक-पैरों को बांधने के बधन विशेष है, निष्कोटन - धनविशेष हैं, इन पनो से ( अण्णेहिं एवमाइर्हि) तथा इन बधनोसे अतिरिक्त जो और भी (गोम्मिय भडोवगरणेहिं) नकोतवाली के चोरों को बाधने के लिये उपकरण विशेष है कि जो (दुक्खसमुदीरणेहिं) बहुत ही अधिक दुःखप्रद होते हैं उनसे, एव (सकोडणमो -
हिं) हस्त पैर आदि सकोचन से तथा गले वगैरह के मोटन से (मधुण्णा) वे अभागे चोर ( वज्झति ) बधनों को प्राप्त होते है । सू-१३ ॥ हारानी से वरत्रा - थामडानी छोरी, " लोहसकल " सोढानी साय, ८८ हत्थ दुय " हाथडी, " वज्झपट्टदाम कणिफोडणेहिं " वर्धपट्ट याभडानी पट्टीगो, अने દામન≤-પગ ખાધવાનું ખાસ અધન, નિષ્કુટન—એક પ્રકારનુ . ધન–આદિ अधनोथी " अण्णेहिं एवमाइएहिं " તથા તે સિવાયના બીજા ધના કે
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गोम्मियभ डोवगरणेहिं ” भनो शोरोने माधवाने भाटे जेटवाणो उपयोग अरे छे भने ? "दुक्स समुदीरणेहिं " अधना अत्यंत हुं महाया होय छे, અને જેનાથી कोडमोड હાથ પગ આદિતુ સ કેાચન તથા ગળા વગેરેનુ માટન ( મરેાડવાની ક્રિયા ) તે " वज्झति ” अनुलवे छे । सू-१३ ॥
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मदपुण्णा કમનસીમ ચારી